शुक्रवार से आरंभ हो रहा छठ पर्व, बाहरी राज्य से आऐ लोगों में काफी उत्साह, सीटीएम प्रबंधन द्वारा घाट पर साफ-सफाई कर कार्य शुरू, किया दौरा
कठुआ 16 नवंबर (हि.स.)। सूर्य की उपासना का महापर्व छठ का आरंभ 17 नवंबर दिन शुक्रवार से हो रहा है, जो 20 नवंबर दिन सोमवार सुबह तक चलेगा। इसी पर्व को लेकर कठुआ में रहने वाले बाहरी राज्यों के लोगों में काफी उत्साह है। कठुआ शहर में स्थित प्रसिद्ध इकाई सीटीएम सहित अन्य इकाइयों में रहने वाले बाहरी राज्य के लोग यह पर्व धूमधाम से मनाते हैं।
उपाध्यक्ष सीटीएम कठुआ मनोज कुमार झा ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कठुआ शहर के बीचोबीच निकलने वाली नहर के किनारे बने घाट पर सीटीएम प्रबंधन की ओर से साफ सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है, जहां पर व्रती महिलाओं के लिए टेंट और लाइट की सुविधा दी जाती है। जिसे शुक्रवार शाम तक अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं जिला प्रशासन ने भी नहर किनारे बने घाट का दौरा किया और सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किए, ताकि कार्यक्रम स्थल पर कोई खलल ना पड़े। इस अवसर पर उपाध्यक्ष सीटीएम कठुआ मनोज कुमार झा ने बताया कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक छठ पूजा का पर्व चलता है। मुख्य तौर पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी मैया की पूजा होती है। छठ पर्व दिवाली के 4 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य और छठ मैया की पूजा की जाती है। उनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। छठ मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है। उन्होंने बताया कि चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लेकिन रोजी रोटी कमाने आऐ देश के अन्य हिस्सों के लोग कठुआ में भी छठ पूजा को धूमधाम से मनाते हैं।
इस अवसर पर पर्व में लंगर लगाने वाले महेश, राहुल, विवेक कुमार, रवी कुमार, राकेश कुमार, मोनू सहित व्रती महिलाओं ने बताया कि छठ पूजा पर्व में मुख्य चार पड़ाव होते हैं, पहला दिन नहाय खाय, दूसरा दिन खरना और लोहंडा, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन ऊषा अर्घ्य व पारण का दिन होता है। नहाय खाय पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नहाय खाय 17 नवंबर को है। जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होता है। खरना और लोहंडा 18 नवंबर दिन शनिवार को है, जोकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को होता है। संध्या अर्घ्य 19 नवंबर दिन रविवार को है। जोकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। इसी दिन छठी मैया की विशेष पूजा भी होती है। ऊषा अर्घ्य और पारण 20 नवंबर दिन सोमवार को है, जोकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। पंडितों के अनुसार इस दिन माताएं पारण कर व्रत पूर्ण करती हैं। छठ पूजा के चारों दिनों व्रती के घर में भजन और लोकगीत गाए जाते हैं। मुख्यता यह व्रत महिलाएं ही रखती हैं, लेकिन पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं।
हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन//बलवान