यौन उत्पीड़न रोकथाम पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
कठुआ 09 दिसंबर (हि.स.)। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम सप्ताह के तहत डीसी कार्यालय में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां एडीडीसी कठुआ अंकुर महाजन ने अध्यक्षता की।
इस अवसर पर एडीडीसी कठुआ ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि हमें कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनानी चाहिए। उन्होंने लिंग संवेदनशील होने की अवधारणा को समझने के महत्व पर प्रकाश डाला और लिंग संवेदीकरण एवं आंतरिक शिकायत समिति और लिंग संवेदीकरण एवं स्थानीय शिकायत समिति के सदस्यों को उनके द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाई। अंकुर महाजन ने कर्मचारियों के लिए जागरूकता और निरंतर संवेदनशीलता पैदा करने के अलावा स्थानीय शिकायत समिति की मासिक बैठक बुलाने का आह्वान किया, कार्यस्थल में प्रमुख स्थानों पर यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने वाले बैनर पोस्टर नोटिस लगाना आवश्यक है और इसकी संरचना और संपर्क जानकारी के बारे में भी बताया।
इससे पहले तहसील मुख्यालय आना जामवाल ने यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम 2013 के विभिन्न प्रावधानों के दायरे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आयामों और प्रकारों पर भी चर्चा की और इसकी अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने व्यावहारिक उपाख्यानों की मदद से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के महत्व को भी विस्तार से समझाया। अंजिशा (केंद्रीय प्रशासक वन स्टॉप सेंटर कठुआ) ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न के प्रासंगिक मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने के महत्व पर प्रकाश डाला और पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लिंग संवेदीकरण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर आत्मविश्वास पैदा करने के प्रयास और निवारक उपाय किए जाने चाहिए। इतिका महाजन (जिला महिला कल्याण अधिकारी) ने दस या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में गठित होने वाली आवश्यक आंतरिक शिकायत समिति के शासनादेश के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा, दस से कम सदस्यों वाले ऐसे कार्यालयों में यौन उत्पीड़न के शिकायतकर्ता संबंधित बीडीओ, तहसीलदार, ईओ एमसी तक पहुंच सकते हैं जो शिकायत को स्थानीय शिकायत समिति में भेज देगा।
अधिवक्ता सौरव महाजन ने पीओएसएच अधिनियम के कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी और बताया कि कैसे सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से यौन उत्पीड़न को हतोत्साहित करने के लिए इसे सही भावना से लागू किया जा सकता है। कार्यक्रम में सुषमा महाजन (अध्यक्ष), कुसुम सलारिया (सदस्य एनजीओ), प्रोफेसर शिवानी कोतवाल (जीडीसी बॉयज़), डॉ रचना भगत (जीडीसी महिला), विभिन्न सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों की आंतरिक शिकायत समितियों के सदस्य शामिल हुए।
हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान