जेकेएएसीएल ने पद्मश्री नरसिंह देव जम्वाल को प्रख्यात व्यक्तित्व से मिलिए कार्यक्रम में सम्मानित किया

 


जम्मू, 3 अप्रैल (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) ने पद्मश्री नरसिंह देव जम्वाल के जीवन और योगदान को याद करते हुए जम्मू के के.एल. सैगल हॉल में प्रख्यात व्यक्तित्व से मिलिए नामक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर उनकी नवीनतम डोगरी पुस्तक, मन्नो नेई मन्नो का आधिकारिक विमोचन भी किया गया।

जेकेएएसीएल की सचिव हरविंदर कौर के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में डोगरी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित लेखक और नाटककार नरसिंह देव जम्वाल को श्रद्धांजलि दी गई। दशकों के साहित्यिक करियर के साथ, जम्वाल ने 52 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता उपन्यास सांझी धरती बाखले माहनु (1978) भी शामिल है। साहित्य और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 2019 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया।

अपनी साहित्यिक उपलब्धियों से परे जम्वाल ने 1953 से जम्मू और कश्मीर पुलिस में सेवा की और जम्मू विश्वविद्यालय से डोगरी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। अपने शुरुआती जीवन में उन्होंने सूबेदार दुनी चंद की पलटन के हिस्से के रूप में गढ़ी की लड़ाई (1947) में भाग लिया जहाँ उन्हें एक साल बाद रिहा होने से पहले पाकिस्तान में युद्ध बंदी (पीओडब्ल्यू) के रूप में पकड़ लिया गया था। भारतीय रंगमंच में उनके योगदान के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2008) से भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत जम्मू के डिवीजनल हेड डॉ. जावेद राही के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने अकादमी के सचिव का प्रतिनिधित्व किया। डॉ. राही ने डोगरी साहित्य में जामवाल के अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला और उनकी विरासत का जश्न मनाने में अकादमी के गौरव को व्यक्त किया। सराहना के प्रतीक के रूप में, डॉ. जावेद राही और रीता खड्याल, संपादक, डोगरी, जेकेएएसीएल ने एन.डी. जम्वाल को फूलों का गुलदस्ता और शॉल भेंट किया।

इस कार्यक्रम में राकेश वर्मा द्वारा प्रस्तुत मन्नो नेई मन्नो पर एक आलोचनात्मक पेपर और जम्मू विश्वविद्यालय के डोगरी के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ. पदम देव सिंह द्वारा जम्वाल की साहित्यिक उपलब्धियों का विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण सहित कई ज्ञानवर्धक अकादमिक चर्चाएँ हुईं। जम्वाल ने दर्शकों के साथ बातचीत की, अपनी साहित्यिक यात्रा साझा की, सवालों के जवाब दिए और डोगरी साहित्य पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा