पौष पुत्रदा एकादशी को लेकर जम्मू-कश्मीर में श्रद्धालुओं में उत्साह, तिथि और पारण को लेकर भ्रम दूर
जम्मू, 27 दिसंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में पौष पुत्रदा एकादशी को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह और जिज्ञासा देखने को मिल रही है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना से जुड़ा माना जाता है। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने जम्मू में जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, जिसे स्पष्ट करना आवश्यक है।
महंत रोहित शास्त्री के अनुसार, इस वर्ष पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर, मंगलवार को प्रातः 7 बजकर 52 मिनट से आरंभ होकर 31 दिसंबर, बुधवार को प्रातः 5 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। तिथि के आधार पर व्रत का निर्धारण संप्रदाय के अनुसार किया गया है। स्मार्त संप्रदाय के श्रद्धालु 30 दिसंबर को जबकि वैष्णव संप्रदाय के श्रद्धालु 31 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखेंगे। उन्होंने बताया कि जिन श्रद्धालुओं ने जिस संप्रदाय के गुरु से दीक्षा ली है, उन्हें उसी के अनुसार व्रत रखना चाहिए।
पारण के समय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु 30 दिसंबर को व्रत रखेंगे, वे 31 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक पारण कर सकते हैं। वहीं, 31 दिसंबर को व्रत रखने वाले श्रद्धालु 1 जनवरी 2026 को प्रातः 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 18 मिनट के बीच पारण कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में मंदिरों और घरों में इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की तैयारियां की जा रही हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसके प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति तथा पारिवारिक सुख-शांति में वृद्धि होती है। यह व्रत व्यक्ति को संयम, सात्विक आहार और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस दिन चावल और तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है तथा सात्विक जीवनशैली अपनाना श्रेष्ठ माना गया है।
व्रत की विधि के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि प्रातः स्नान के पश्चात पति-पत्नी को संयुक्त रूप से भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए। स्वच्छ स्थान पर कलश स्थापना कर वैदिक मंत्रों, विष्णु सहस्रनाम और संतान गोपाल मंत्र का जप किया जाता है। द्वादशी के दिन पारण के साथ ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन और दान-दक्षिणा देने का विशेष महत्व बताया गया है। जम्मू-कश्मीर में श्रद्धालु इस पावन व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा