साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल किया
जम्मू, 1 सितंबर (हि.स.)। साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने रविवार को राँजड़ी, जम्मू में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि भारत को सोने की चीड़िया कहा जाता है। यह किसी भी देश पर आक्रमण करने नहीं गया। जो आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण किये, वो ऐसे देशों से आए, जहाँ अभाव था। भारत शुरू से ही सम्पन्न देश रहा है। चोर चोरी करने जाता है तो किसी सम्पन्न आदमी के घर जाता है, किसी गरीब के घर नहीं जाता है। इस तरह भारत की संस्कृति प्राचीनतम है। आधारना पद्धति, खान-पान, आचार-संहिता सबसे विश्व में उत्तम है। भारत ऐसे क्षेत्रज पर है, जहाँ दुनिया का सबसे बड़ा मैदान है। गंगा और सिंधु जैसा मैदान दुनिया में कहीं नहीं है। ये उर्वरक और उपजाऊ मैदान हैं। एक कारण यह है। यहाँ सभी तरह के फल होते हैं, सभी तरह के अनाज होते हैं। ऐसा किसी भी देश में नहीं है।
परमात्मा का संदेश भी सबसे पहले भारत ने दिया। संसार का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ वेद है। यहाँ के लोग शांति प्रिय हैं, परमार्थी हैं। खगोल का ज्ञान भी पहले भारत ने दिया। हजारों साल पहले महाराजा विक्रमादित्य के शासनकाल में आर्यभट्ट जैसे वैज्ञानिक हुए। यह भारत भौतिक दृष्टि से, आध्यात्मिक दृष्टि से, आर्थिक दृष्टि से बहुत संपन्न है। इसका कोई मुकाबला नहीं है। सबसे पहले भारत ने ईश्वर का ज्ञान दिया। यह ज्ञान वेदों से आया। ऋग्वेद संसार का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ है। बाकी सबने इसका अनुकरण किया है। ऋग्वेद ने निराकार माना है। यही बात सभी धर्मों में है। यह भारतीय मान्यता की नकल है। भारत पूरे विश्व का शासन कर चुका है। शास्त्रानुसार 6 चक्रवर्ती राजा हुए हैं। चक्रवर्ती राजा वो होता है, जो पूरे विश्व पर राज्य करता है। उस समय विश्व बहुत सीमित था। दक्षिण अफ्रीका में घने जंगल होने से कोई नहीं रहता था। अरब देशों में इंसान नहीं था। रेगीस्तान था। यह तो तेल के कारण से विकास हुआ। पृथ्वी के जिस क्षेत्र पर मानव रहते थे, उस पूरे क्षेत्र पर भारत की हुकूमत थी। ऐसे 6 राजा हुए।
जिस भूमंडल पर मनुष्य थे, अफगानीस्तान, भारतीय उपमहाद्वीप, वर्मा आदि पर भारत की हुकूमत थी। अहिंसा हमारे डी.एन.ए. में है। विश्व में ऐसी संस्कृति कहीं नहीं है। यहाँ के लोग पहले हिंसावादी नहीं थे। शांति प्रिय थे। 6 ऋतु केवल भारत में होती हैं। वैज्ञानिकों ने तो आज लेजर मिसाइल बनाई, भारत में पहले ही अग्नि वाण चलाने वाले लोग थे। वैज्ञानिकों ने बड़े बड़े विमान बनाए, रावण आदि के पास तब भी विमान थे। वो अपने निजी विमानों में घूमते थे। रामायण और महाभारत आदि युग में इनका उल्लेख है। आज से लगभग 600 साल पहले कबीर साहिब आए। वो कोई वेदों के खिलाफ नहीं थे। पर उन्होंने कहा कि वेदों में हमारा भेद है, पर जिस भेद में मैं रहता हूँ, उसे वेद नहीं जानता है। उन्होंने अमर देश की बात कही। संतत्व की धारा चली। उनकी शिक्षा से कइयों का धंधा बंद हो गया। इसलिए उनका घोर विरोध हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा