चुनाव में हार के पीछे कांग्रेस का हाथ, ईवीएम नहीं- रोहिन चंदन

 

जम्मू, 22 दिसंबर (हि.स.)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय गठबंधन द्वारा चल रहे दुष्प्रचार का कड़ा खंडन करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिला जम्मू दक्षिण के मीडिया सचिव रोहिन चंदन ने आज इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रमुख राज्यों में बूथ कैप्चरिंग की कुख्यात प्रथा शुरू करने के लिए जिम्मेदार थी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईवीएम की शुरूआत ने भारत की चुनावी प्रक्रिया में अभूतपूर्व पारदर्शिता, निष्पक्षता और दक्षता ला दी है जिससे कांग्रेस काल के दौरान चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगा है। चंदन ने कहा कि यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड की बात है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश और बिहार में पहली बूथ लूट को अंजाम दिया। बूथ कैप्चरिंग, जहां हथियारबंद गुंडे मतदान केंद्रों पर धावा बोल देते थे, मतदाताओं को डराते थे और मतपेटियों को फर्जी वोटों से भर देते थे, कांग्रेस शासन के तहत इन राज्यों में चुनावों की एक पहचान बन गई। इस अलोकतांत्रिक प्रथा ने न केवल लोगों से उनके वास्तविक जनादेश को लूट लिया बल्कि मतदान के दिनों में व्यापक हिंसा, हत्याएं और अराजकता भी हुई।

बूथ कैप्चरिंग पहली बार 1957 के आम चुनावों के दौरान बिहार के रचियाही गांव में दर्ज की गई थी जब कांग्रेस सत्ता में थी। यह प्रथा बाद के दशकों में, विशेष रूप से 1970 से 1990 के दशक में बिहार और उत्तर प्रदेश में हिंसा और हेरफेर के कारण बढ़ी।

चंदन ने जोर देकर कहा कि पुरानी मतपत्र प्रणाली पर लौटने के लिए कांग्रेस और भारतीय गठबंधन की हताशा अब बिल्कुल स्पष्ट है। ईवीएम ने बड़े पैमाने पर बूथ कैप्चरिंग की संभावना को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। मतपत्रों के साथ गुंडे मिनटों में हजारों वोट भर सकते हैं लेकिन ईवीएम मतदान की गति को सीमित करते हैं और इसमें सुरक्षा विशेषताएं शामिल होती हैं जो इस तरह की धोखाधड़ी को असंभव बनाती हैं। यही कारण है कि विपक्ष पुरानी प्रणाली को वापस चाहता है - ताकि वे वोट चोरी की अपनी सदियों पुरानी रणनीति को पुनर्जीवित कर सकें।

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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता