चूड़ामणि संस्कृत संस्थान ने अपना तीसरा वार्षिक उत्सव धूम धाम से मनाया

 


जम्मू, 15 जनवरी (हि.स.)। सोमवार को चूड़ामणि संस्कृत संस्थान ने अपना तीसरा वार्षिक उत्सव धूम धाम से बसोहली में मनाया। समारोह में महंत हरिराम दास, डीसी कठुआ राकेश मिन्हास, पूर्व मंत्री शाम लाल शर्मा, पूर्व मंत्री प्रेम सागर अजीत, एडीसी बसोहली अजीत सिंह, चूड़ामणि संस्कृत संस्थान के मुख्य न्यासी शक्ति पाठक, बलबीर राणा, अनुराग जी, प्रताप सिंह, श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री, नगरपालिका बसोहली के पूर्व चेयरमैन सुमेश सपोलिया आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। इस अवसर पर वार्षिक उत्सव के साथ देववाणी संस्कृत के विद्वान स्वर्गीय डॉ उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी की 101वीं जयंती मनाई गई, बसोहली में प्रभात फेरी निकाली गई, चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसोहली में शिवपरिवार की मूर्ति स्थापना की गई, गीता पाठ हुआ, डॉ उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी के जीवन पर व्याख्यान किया गया तथा अन्य और कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। अंत में भंडारा भी किया गया।

इस अवसर पर डीसी कठुआ राकेश मिन्हास ने कहा कि जम्मू कश्मीर पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां अतीत में सबसे लंबे समय तक न सिर्फ पठन-पाठन के लिए अपितु संपर्क भाषा के रूप में भी देववाणी संस्कृत का प्रयोग हुआ। उसी परंपरा को बढ़ावा देते हुए चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसोहली कार्य कर रहा है।

पूर्व मंत्री शाम लाल शर्मा ने कहा कि स्वर्गीय डा. उत्तम चंद जी का जीवन धर्म, मानव सेवा को समर्पित रहा। शास्त्री जी का जीवन व्यवहारकुशलता व कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहा। समाजसेवा को धर्म का अभिन्न अंग मानने वाले पाठक जी ने समाज के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी कार्य किए। समाज के हितों की रक्षा में उनका योगदान सदैव ही प्रशंसनीय रहा।

समारोह में चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसोहली के मुख्य न्यासी शक्ति पाठक जी ने कहा कि देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का ज्ञान अधूरा है। संस्कृत को जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है। संस्कृत भाषा के कई शब्द हिन्दी सहित अन्य कई भारतीय भाषाओं में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। शब्दकोष संस्कृत से ही बढ़ता है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य सोचता है। इसलिए सोचने की भाषा को समृद्ध बनाने के लिए हमें स्वर्गीय डा. उत्तम चंद जी के दिखाए मार्ग पर चलना होगा।

बलबीर राणा जी ने कहा कि राष्ट्र में संस्कृत भाषा को अग्रसर करने में स्वर्गीय डा. उत्तम चंद शास्त्री पाठक जीका समर्पण सुप्रसिद्ध है। इनसे पढ़े हुए छात्र आज प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार में उच्च पदों पर पदस्थ हैं। युवा पीढ़ी भी स्वर्गीय डॉ उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी का अनुसरण कर प्रदेश एवं राष्ट्र संस्कृति संरक्षण में अपना योगदान दें।

इस अवसर पर श्री कैलख ज्योतिष एवम वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने कहा कि स्वर्गीय डा. उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी एवं उनके परिवार का भारत में संस्कृत भाषा के संवर्धन व विकास में अमूल्य योगदान रहा है।

समारोह में चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसोहली के प्राचार्य डॉ सौम्य रंजन महापात्र, डॉ संजय शर्मा, नरेश रैना, मोहिंदर पाल, नितिन, अमित, राकेश शास्त्री, अनमोल उपाध्याय, सूरज शर्मा, रजत जी,ललिता आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान