गेस्ट टीचर पॉलिसी का अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ  ने किया विरोध, सरकार से नियमित भर्ती की मांग

 


नाहन, 15 दिसंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर ईकाई के अध्यक्ष कपिल मोहन ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गेस्ट टीचर पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का मूलभूत ढांचा ही चरमरा चुका है और जिस गुरु को समाज सर्वोच्च सम्मान देता है उसकी हैसियत अब शिक्षा व्यवस्था में एक गेस्ट टीचर की तरह रह गई है।

कपिल मोहन ठाकुर ने प्रेस बयान में कहा कि शिक्षा विभाग में सरकार ने पहले ही एसएमसी, कंप्यूटर टीचर, वोकेशनल, आउटसोर्स जैसे विभिन्न वर्गों में अध्यापकों को विभाजित कर दिया है, जो अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई अध्यापक पिछले 20-25 वर्षों से नियमितीकरण की नीति का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं।

कपिल मोहन ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कभी भी गेस्ट टीचर पॉलिसी के पक्ष में बयान नहीं दिए, लेकिन अब यह पॉलिसी क्यों लाई गई, यह सोचने का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में पहले ही एसएमसी पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई है जिनकी सेवाएं सरकार की तरफ से अभी तक नियमित नहीं की गई हैं। कई शिक्षक 12 वर्षों से ज्यादा समय से इन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं लेकिन उनका नियमितीकरण अभी तक नहीं हुआ है।

कपिल मोहन ठाकुर ने गेस्ट टीचर पॉलिसी के तहत निर्धारित वेतनमान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि प्राइमरी स्कूलों में गेस्ट टीचर को 200 रुपये प्रति पीरियड, अप्पर प्राइमरी में 250 रुपये, उच्च विद्यालय में 400 रुपये और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 550 रुपये प्रति पीरियड के हिसाब से वेतन दिया जाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर एक मिडल स्कूल के अध्यापक को 6 पीरियड मिलते हैं तो उसका मासिक वेतन 37,500 रुपये तक हो सकता है जो कि एक रेगुलर शिक्षक के बराबर होता है। ऐसे में सरकार को नियमित भर्ती करवानी चाहिए।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष ने सरकार से अपील की कि इस तरह की अस्थाई भर्ती प्रदेश के युवाओं के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले किए गए सभी नियुक्तियों को चरणबद्ध तरीके से नियमित करना चाहिए और नई नियुक्तियां पारदर्शी पॉलिसी के तहत की जानी चाहिए। कपिल मोहन ठाकुर ने सरकार से गेस्ट टीचर पॉलिसी पर पुनर्विचार करने की भी मांग की।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर