आईआईटी मंडी के 12वें दीक्षांत समारोह में 636 प्रशिक्षुओं को प्रदान की गई डिग्रियां
मंडी, 28 सितंबर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने अपने 12वें दीक्षांत समारोह के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया। संस्थान और इसके स्रातकों की उपलब्धियों को सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान कुल 636 छात्रों मैं 463 पुरुष और 173 महिला ने विभिन्न विषयों में अपनी डिग्रियां प्राप्त कीं।
स्नातक वर्ग में पीएचडी 55, बी टेक 297, एम टेक एंड एमएस 118, एमबीए 31, एमए 16, एमएससी 119 ने डिग्री प्राप्त की। इस साल में होने वाली छात्राओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2023 में 23.36% की तुलना में 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 27.20% हो गया है। यह लैंगिक विविधता और समावेशिता के प्रति आईआईटी मंडी की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. स्रातक शाश्वत गुप्ता को स्रातक छात्रों में सर्वोच सीजीपीए प्राप्त करने के लिए भारत के राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
बायो इंजीनियरिंग में बी.टेक. स्रातक जैन हिया सुधीर को स्रातक छात्रों में सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन के लिए निदेशक स्वर्ण पदक मिला। इसके अतिरिक्त रसायन विज्ञान में एम.एससी धारक देवांशु सजवान को समग्र उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए संस्थान का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बीईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनोज जैन ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई। उनके साथ विशेष अतिथि के सम्मान के रूप में शामिल प्रो. राजीव आहूजा, आईआईटी रोपड़ के निदेशक डॉ. नरेंद्र कुमार आर्य, डीआरडीओ में ईआर और आईपीआर के निदेशक और कृष्णा इका, सीईओ और चेयरमैन, ब्रेनवेव साइंस भी उपस्थित रहे।
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों को समेटते हुए डायरेक्टर रिपोट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, आईआईटी मंडी कई स्कूलों और केंद्रों का घर है, और इस वर्ष हमने आपदा जोखिम प्रबंधन पर राष्ट्री प्राथमिकताओं के अनुरूप, जलवायु परिवर्तन और आपदा न्यूनीकरण केंद्र का उद्घाटन किया। इस केंद्र लक्ष्य जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, आपदा न्यूनीकरण और सतत विकास में अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देना अभिनव समाधान विकसित करना है।
दीक्षांत समारोह रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा, निदेशक, आईआईटी मंत्री ने खातक छात्रों को बधाई देने हुए कहा, यह उपलब्धि वर्षों की कड़ी मेहनत का फल है और सार्थक प्रभाव डालने के अवसरों से भरी यात्रा की शुरुआत है। उन्होंने संस्थान के हालिया विकास कार्यों को रेखांकित किया, जिनमें नए केंद्र और शैक्षणिक कार्यक्रम, साथ ही पूर्व छात्रों की उपलब्धियां भी शामिन है। विशेष रूप से, उन्होंने 2024 के पेरिस पैरालंपिक में पुरुष एकल बैडमिंटन (एसएल३ चेणी के अंतर्गत) में स्वर्ण पदक जीतने वाले बी.टेक. 2020 इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के पूर्व छात्र नितेश कुमार को सम्मानित किया। उन्होंने कहा, आईआईटी मंडी अपने पूर्व छात्रों को महत्व देता है और उनके योगदान का जन मनाता है।
उन्होंने कहा कि में जलवायु परिवर्तन और आपदा न्यूनीकरण केंद्र (सी3डीएआर) की स्थापना की भी घोषणा की, जो हिमालयी क्षेत्र में जलवायु अनुकूलन और आपदा न्यूनीकरण के लिए अभिनव समाधानों पर केंद्रित है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि रिमोट सेंसिंग, एआई और आईओटी जैसी तकनीकों का लाभ उठाकर, हम वास्तविक समय की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों को बढ़ाना चाहते हैं। समारोह मुख्यातिथि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बीईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनोज जैन ने कहा कि आईआईटी मंडी ने भारत में व्यावसायिक शिक्षा के लगातार विकसित होते परिदृश्य में अपने लिए एक अलग पहचान बना ली है। आतक छात्र 'ब्रांड आईआईटी' की विरासत को आगे बढ़ाएंगे, जो एक विकसित भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों की आकांक्षाओं में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इन छात्रों की पेशेवर प्रयासों में सफलता निरंतर इस बात को रेखांकित करेगी कि आईआईटी मंडी हमारे राष्ट्र की मानवीय, सामाजिक और बौद्धिक पूंजी के निर्माण में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विशेष अतिथि प्रो. राजीव आहूजा ने कहा कि आज एक कठोर शैक्षणिक यात्रा का अंत और स्रातक छात्रों के लिए नए रोमांचक रास्तों की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि जैसे ही वे पेशेवर दुनिया में कदम रखेंगे उनका समर्पण और बुद्धि उनकी भविष्य की सफलता का कारण बनेगा। उन्होंने उन्हें आईआईटी मंडी में सीखे गए नवाचार, ईमानदारी और समावेशिता के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो उन्हें समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मार्गदर्शन देगा। विशेष अतिथि अतिथि कृष्णा इका ने स्रातक छात्रों से आग्रह किया कि वे अभिनव स्टार्टअप के माध्यम से ग्रामीण भारत की ज्वलंत चुनौतियों का समाधान करें, जो जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं और आर्थिक विकास को गति प्रदान कर सकते हैं। गांवों और कस्बों में अवसर पैदा करके, वे इन क्षेत्रों को शहरी केंद्रों के संपन्न विस्तार में बदल सकते हैं, जो अंततः राष्ट्र के लिए एक उज्जवल और अधिक समावेशी भविष्य को बढ़ावा देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा