ऊना के यतिन कंवर ने उत्तीर्ण की भारतीय सेना की टीईएस परीक्षा, देश में पाया 11वां स्थान
ऊना, 03 मई (हि. स.)। कड़ी मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति व अनुशासन के बल पर जीवन में सफलता के बड़े से बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते है। नगर परिषद ऊना के वार्ड 9 में रोटरी गली निवासी 19 वर्षीय यतिन कंवर ने इसे साबित कर दिखाया है। जिला ऊना के यतिन कंवर ने भारतीय सेना के टैक्रिकल एंट्री स्कीम (टीईएस) कोर्स 51 की परीक्षा उतीर्ण करने में सफलता प्राप्त की है। यतिन कंवर ने सिलेकशन सेंटर सेंट्रल भोपाल में एसएसबी इंटरव्यू उतीर्ण किया। बीते रोज ही टीईएस 51 कोर्स की जारी हुई मैरिट सूची में यतिन कंवर ने देश भर में 11 वां स्थान हासिल किया है।
यतिन कंवर एनआईटी हमीरपुर में इलैक्ट्रोनिक्स एवं कम्युनिकेशन टे्रड में द्वितीय समैस्टर का छात्र है। बचपन से उसकी रूचि भारतीय सेना में अधिकारी बनने की रही,जिसे पुरा करने के लिए वह लगातार प्रयासरत रहा तथा अंतत:वह अपने प्रयास में कामयाब रहा। यतिन कंवर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा माऊंट कार्मल सीनीयर सकैंडरी स्कूल से की तथा यहां से 2021 में दसवीं कक्षा 89.80 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उतीर्ण की। इसके बाद उसने वशिष्ठ पब्लिक स्कूल ऊना से 2023 में जमा दो नान मेडिकल की परीक्षा 89 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उतीर्ण की।
यतिन कंवर ने इसके साथ ही अप्रैल 2023 में संपन्न हुए जेईई मेन्स की परीक्षा में 97.70 परसेंटाईल हासिल कर एनआईटी हमीरपुर में इलैक्ट्रानिक्स एवं कम्युनिकेशन ट्रेड में अपनी सीट सुनिश्चित की। हालांकि उसका लक्ष्य सेना में अधिकारी बनना था,जिसके लिए वह लगातार प्रयासरत रहा। उसने चार बार एनडीए की लिखित प्रवेश परीक्षा उतीर्ण की तथा तीन बार भोपाल, बंगलौर व इलाहाबाद में एसएसबी साक्षात्कार के लिए अपीयर हुआ। यतिन कंवर जालंधर में टीईएस 50 कोर्स के लिए हुए एसएसबी में रिकमेंड हुआ,लेकिन मेरिट आऊट हो गया। इसके बाद फरवरी 2024 में भोपाल में टीईएस 51 कोर्स के लिए हुए एसएसबी में वह दूसरी बार रिकमेंड हुआ तथा मेरिट लिस्ट में 11वाँ स्थान हासिल कर अंतत: भारतीय सेना में चयनित हुआ।
यतिन कंवर प्रख्यात समाज सेवी व हिमोत्कर्ष परिषद के संस्थापक स्वर्गीय कंवर हरिसिंह का पौत्र है। उसकी माता रमा गृहिणी के साथ-साथ एलआईसी अभिकर्ता है,जबकि उसके पिता जतिंद्र कंवर पत्रकार व हिमोत्कर्ष के प्रदेशाध्यक्ष है। यतिन कंवर अपने दादा स्वर्गीय कंवर हरिसिंह को अपनी प्रेरणा का स्त्रोत मानते है। वहीं,अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों,अध्यापकों व शुभचिंतकों को देते है। वह इसे भगवान का आर्शीवाद बताते है।
हिन्दुस्थान समाचार/विकास/सुनील