भारतीय संस्कृति के मूल स्रोत हैं वेद : आचार्य अनुपमा सिंह

 


मंडी, 13 दिसंबर (हि.स.)। इतिहास विभाग सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी द्वारा विश्व दर्शन दिवस के उपलक्ष्य पर भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय संस्कृति में निहित मौलिक मूल्य तथा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में उनकी प्रासंगिकता का आयोजन किया। आचार्य अनुपमा सिंह प्रति कुलपति सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।वशिष्ठ अथिति के रुप में आचार्य राजेश कुमार शर्मा अधिष्ठाता महाविद्यालय विकास परिषद उपस्थित रहे।

शुभारंभ अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों द्वारा मेहमानों का भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक लगाकर स्वागत किया। उसके उपरान्त मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना व वंदे मातरम् के बाद डॉ राकेश कुमार शर्मा संगोष्ठी संयोजक एवं प्रभारी इतिहास विभाग ने विद्वानों का परिचय करवाया व राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्यों को प्रस्तुत किया।

आचार्य अनुपमा सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत की आत्मा भारतीय संस्कृति में निहित है।भारतीय संस्कृति के मूल स्रोत वेद हैं। आज भी भारतीय संस्कृति में वैदिक युगीन जीवन शैली के जीवंत प्रतिमान समाज में दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व यह स्वीकार करता है कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यता व संस्कृति है ।

इस उपलक्ष्य पर पर आचार्य ओम प्रकाश शर्मा सेवानिवृत्ति अध्यक्ष डॉ वाई एस परमार पीठ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने भारतीय संस्कृति में नैतिक मूल्य, डॉ चेतराम गर्ग निदेशक ठाकुर रामसिंह इतिहास को संस्थान नेरी ने भारतीय संस्कृति में निहित मौलिक मूल्य, प्रो भागचंद चौहान आचार्य भौतिक विज्ञान विभाग हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला ने भारतीय संस्कृति में शिक्षा और संस्कार, डॉ कर्म सिंह पूर्व सचिव हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला ने भारतीय संस्कृति में राष्ट्रीय चिंतन व डॉ कृष्ण मोहन पांडे सह आचार्य संस्कृत विभाग जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने भारतीय संस्कृति में धर्म तत्व पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किये

हिन्दुस्थान समाचार/ मुरारी/सुनील