जनवरी 2026 तक बेसहारा पशु मुक्त होगा शिमला, गौ सदनों तक पहुंचाए जाएंगे सभी पशु

 

शिमला, 21 दिसंबर (हि.स.)। शिमला की सड़कों पर घूमते बेसहारा पशुओं से जल्द ही राहत मिलने वाली है। जिला प्रशासन ने ठोस कदम उठाते हुए यह लक्ष्य तय किया है कि जनवरी 2026 तक जिला शिमला को पूरी तरह बेसहारा पशु मुक्त बनाया जाएगा। इसके लिए हर उपमंडल स्तर पर समिति गठित करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है और 15 दिवसीय विशेष अभियान चलाया जाएगा।

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने बताया कि सड़क किनारे और रिहायशी इलाकों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को नजदीकी गौ सदनों तक पहुंचाने के लिए उपमंडल स्तर पर समितियां बनाई गई हैं। इन समितियों की अध्यक्षता संबंधित उपमंडलाधिकारी करेंगे। समिति में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता, खंड विकास अधिकारी, थाना प्रभारी, नगर निकाय या पंचायत प्रतिनिधि, स्थानीय गौशाला या पशु आश्रय के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जबकि वरिष्ठ पशु चिकित्सक को समिति का सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।

जिला प्रशासन की ओर से जारी आदेशों के अनुसार यह समितियां अपने-अपने उपमंडल क्षेत्र में 15 दिनों के भीतर बेसहारा पशुओं को एकत्र कर गौशालाओं तक पहुंचाएंगी। इसके बाद पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट 15 दिन बाद उपायुक्त कार्यालय को सौंपी जाएगी। उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नववर्ष की शुरुआत के साथ ही अभियान को और तेज किया जाएगा, ताकि जनवरी 2026 तक जिले के सभी चिन्हित स्थानों से बेसहारा पशुओं को हटाया जा सके।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि पशुधन हमारी धरोहर है और इन्हें बेसहारा छोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने ऐसे लोगों से अपील की है, जिन्होंने अपने पशु छोड़ दिए हैं, कि वे जिम्मेदारी निभाते हुए उन्हें वापस ले जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सर्दियों में बेसहारा पशुओं की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है और इनके कारण सड़क हादसों की आशंका भी बनी रहती है।

पशुपालन विभाग द्वारा हाल ही में कराए गए सर्वेक्षण में पूरे जिला शिमला में कुल 272 बेसहारा पशुओं की पहचान की गई है। जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि इन सभी पशुओं को नजदीकी गौ सदनों में रखा जाएगा। जिले में विभिन्न गौ सदनों में लगभग 3,500 पशुओं को रखने की क्षमता है, जबकि फिलहाल करीब 2,500 पशु ही वहां रखे गए हैं। ऐसे में शेष क्षमता को ध्यान में रखते हुए इन 272 पशुओं को चरणबद्ध तरीके से गौशालाओं तक पहुंचाया जाएगा।

सर्वेक्षण के दौरान जिले के कई स्थानों पर बेसहारा पशुओं की अधिक संख्या पाई गई है। इनमें शिमला शहर के टूटू चौक, तारा देवी हाईवे, खलीनी क्षेत्र, रामपुर, झाकड़ी, कुमारसैन, कोटगढ़, नारकंडा, कोटखाई, ठियोग, मतियाना, छैला, गुम्मा, चौपाल, रोहड़ू, जुब्बल और चिडगांव जैसे इलाके शामिल हैं। इन सभी स्थानों को प्राथमिकता के आधार पर बेसहारा पशु मुक्त किया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा