शिमला रोपवे में होगा 6.109 हेक्टेयर वन भूमि का इस्तेमाल, 13.79 किलोमीटर होगी लंबाई
शिमला, 19 दिसंबर (हि.स.)। पहाड़ों की रानी शिमला में प्रस्तावित रोपवे परियोजना के निर्माण की राह आसान हो गई है। इस परियोजना में 13.79 किलोमीटर लम्बा रोपवे बनना है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तवर्धन सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि शिमला शहर में नवोन्मेषी शहरी परिवहन प्रणाली के तहत बनने वाली रोपवे परियोजना को वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 1980 के तहत प्रथम चरण की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। यह मंजूरी 7 अक्तूबर 2025 को दी गई है। इसके तहत 6.109 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वानिकी उपयोग के लिए परिवर्तित करने की अनुमति दी गई है।
यह जानकारी राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के प्रदेश महामंत्री डॉ. सिकंदर कुमार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दी गई। डॉ. सिकंदर कुमार ने पूछा था कि क्या शिमला में 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से बन रही 13.79 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को वन कानून के तहत मंजूरी मिली है, क्या इसमें सभी पर्यावरणीय और कानूनी मानदंडों का पालन होगा, क्या यह ग्रीन हिमाचल विजन के अनुरूप है और क्या इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
मंत्री कीर्तवर्धन सिंह ने बताया कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश की रोपवे एवं त्वरित परिवहन प्रणाली विकास निगम द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि रोपवे परिवहन एक कम कार्बन उत्सर्जन वाला माध्यम है, जो शहर में वाहनों की संख्या और ट्रैफिक को कम करने में मदद करेगा। इससे वायु प्रदूषण में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि रोपवे जैसी प्रणालियां पारंपरिक सड़क आधारित परिवहन की तुलना में कम ऊर्जा की खपत करती हैं और भूमि पर भी न्यूनतम असर डालती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग की अनुमति सख्त पर्यावरणीय शर्तों और उपशमन उपायों के साथ दी गई है। इसके तहत परियोजना के लिए नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) का भुगतान किया जाएगा, प्रतिपूरक वनीकरण किया जाएगा और मृदा एवं नमी संरक्षण से जुड़े कार्य अनिवार्य रूप से किए जाएंगे, ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।
रोजगार के सवाल पर मंत्री ने कहा कि परियोजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार कर रही है और इसके निर्माण व संचालन के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। खास तौर पर स्थानीय युवाओं को इससे लाभ मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रीन हिमाचल विजन के अनुरूप इस परियोजना को आगे बढ़ा रही है, ताकि आधुनिक शहरी परिवहन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन का संतुलन बनाया जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा