शिमला में सुनारों को मिलेगा प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में प्रशिक्षण, उपायुक्त ने दिए निर्देेश
शिमला, 29 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत अब शिमला जिले में सुनारों को विशेष प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है, जिससे पारंपरिक कारीगरों को रोजगार के नए अवसर मिल सकेंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सुनारों और अन्य कारीगरों को उनके हुनर को और निखारने का है, ताकि वे अपने पारंपरिक काम को आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण से जोड़ सकें और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने सोमवार को इस योजना के तहत जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति की बैठक में इस निर्णय को लेकर चर्चा की और निर्देश दिए कि सुनारों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि जिले में देवी-देवताओं से जुड़े आभूषण बनाने वाले पारंपरिक सुनारों की संख्या बहुत कम रह गई है, जबकि इस काम में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के माध्यम से जिले के सुनारों को रोजगार मिल सकेगा और वे अपने घर के पास ही अपने हुनर को निखारकर काम कर सकेंगे। साथ ही, यह भी बताया कि यह योजना कारीगरों और शिल्पकारों के कौशल को बढ़ाने के लिए है, जो पारंपरिक शिल्पकला में माहिर हैं।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत सुनारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और साथ ही उन्हें इस प्रशिक्षण के दौरान रोजाना 500 रुपये का वजीफा भी मिलेगा। यह प्रशिक्षण बुनियादी 5 से 7 दिन का और उन्नत 15 दिन का होगा। इसके अलावा, योजना के तहत आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता ई-वाउचर के रूप में दी जाएगी। कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड भी प्रदान किया जाएगा, जो उनकी कारीगरी के प्रमाण के रूप में काम आएंगे।
यह योजना केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई है और इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को बिना किसी गारंटी के 3 लाख रुपये तक का ऋण 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध कराना है। यह ऋण दो किस्तों में मिलेगा, पहली किस्त 1 लाख रुपये की और दूसरी 2 लाख रुपये की। इस योजना के तहत 18 पारंपरिक व्यापारों को शामिल किया गया है, और आवेदन के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का होना आवश्यक है। एक परिवार से केवल एक सदस्य ही आवेदन कर सकता है, और सरकारी कर्मचारी तथा उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा, यदि आवेदक ने पिछले 5 वर्षों में पीएमईजीपी, पीएम स्वनिधि या मुद्रा लोन का लाभ लिया है, तो वह इस योजना के लिए योग्य नहीं होगा।
उपायुक्त ने जिला महा प्रबंधक जीआईसी और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जल्द से जल्द इस योजना का प्रचार-प्रसार करें और सुनारों को इसका लाभ दिलवाने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करें। आवेदन ऑनलाइन पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर किए जा सकते हैं या फिर निकटतम जन सेवा केंद्र के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है। इस निर्णय से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जिले के पारंपरिक कारीगरों को न सिर्फ अपने कौशल को बढ़ाने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे अपने काम के जरिए स्वावलंबन की ओर भी कदम बढ़ा सकेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा