राष्ट्रीय नाटय महोत्सव: सिली सोल्स फाउंडेशन दिल्ली द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण नाटक मंडला

 


मंडी, 16 अक्टूबर (हि.स.)। हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान व रंगमंडल द्वारा मंडी के सतोहल में आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह की तीसरी संध्या पर सिली सोल्स फाउंडेशन दिल्ली द्वारा प्रस्तुत नाटक मंडला का भावपूर्ण मंचन किया गया। प्रियंका शर्मा द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक ने हाल में मौजूद दर्शकों को प्रभावित किया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से सतोहल नाटक प्रेक्षागृह में आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय नाटय महोत्सव की तीसरी संध्या में दिल्ली के नाटक ग्रुप सिली सेल्स फाउंडेशन की प्रस्तुति मंडला में दो महिला और एक पुरूष कुल तीन चरित्र है। पहली स्त्री जो परिपक्व है और एक मकान में अकेली रहती है। उसका अपने पति से तलाक हो चुका है , वह अपने घर के कमरे में किराए पर देने के लिए विज्ञापन देती है। जिसे पढक़र वर्षा नाम की एक लडक़ी बतौर किराएदार आती है जो विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही है ।

ममता और मोहिनी एक दूसरे से खूब घुल मिल जाती है । मकान मालकिन ममता धीरे-धीरे अपने पूर्व पति जीवन के साथ बिताए गए समय के बारे में बताने लगती हैं। कुछ कड़वी कुछ मीठी यादें। कुछ दिनों के बाद जीवन एक दिन ममता से मिलने आता है और वहीं मोहिनी से उसकी मुलाकात हो जाती है। धीरे-धीरे स्थिति ऐसी बनती है कि जीवन और मोहिनी को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। जिस दिन मोहिनी जीवन के लिए ममता का घर छोडऩे को होती है उसी दिन ममता उसकी हत्या कर देती है। हालांकि , ममता अपने पति को छोड़ चुकी है लेकिन कहीं न कहीं मन ही मन उससे जुड़ी हुई है । वह नहीं चाहती कि कोई फिर उसके पूर्व पति से प्यार या शादी करें। नाटक में रूपांतरण होता है और घटनाक्रम चक्र में कई बार बदलाव किए जाते हैं।

नाटक मंडला मानवीय संबंधों के इर्दगिर्द घूमता है। इसमें ममता और मोहिनी जो उसके साथ किराए पर रहती हैं। उनके बीच भावनाओं का एक ऐसा तानाबना बनता चला जाता है कि वे एक दूसरे का संबल बन जाते हैं। कहानी वहां मोड़ लेती है जब ममता का पूर्व पति जीवन पहली बार मोहिनी से मिलता है और रिश्तों पर चढ़ी परत एक.एक करके खुलने लगती है । तब सभी रिश्ते किसी ताश के पत्ते के महल की तरह टूट जाते हैं। नाटक के अंत में भावनाएं भयावह रूप लेती हैं। यह नाटक संबंधों के बनने, बिगडऩे, टूटने और बचने की कहानी है। ठीक चित्र शैली मंडला की तरह जिसमें पहले चित्रों को रंगों से खूब सजाया जाता है और फिर उसे मिटा दिया जाता है।

नाटक में प्रियंका शर्मा ने लेखन और निर्देशन के अलावा ममता का मुख्य किरदार निभाया है। वहीं जीवन के रोल में राहुल दक्ष और मोहिनी की भूमिका में निकिता रावत प्रभावी अभिनय किया है। जबकि प्रकाश व्यवस्था दीप कुमार, संगीत कपिल सारस्वत ने दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा