अपने पद की गरिमा भूले मुख्यमंत्री : विपिन परमार

 








धर्मशाला, 06 अप्रैल (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार देखने को मिला कि जब हिमाचल प्रदेश का मुखिया मंच पर अपनी पद की मर्यादा भूल कर एक छूटभैया नेता की तरह बयान बाजी करते हुए नजर आए। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कांगड़ा-चंबा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रभारी, सुलाह के विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि ऊना में जनसभा के दौरान शायद मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू यह भूल गए कि वह किस पद पर बैठे हैं और वरिष्ठ नेताओं के लिए इस तरह के घटिया शब्दों का इस्तेमाल किया।

परमार ने कहा कि इससे पहले भी इस तरह की परिस्थितियों हिमाचल प्रदेश में बनी है जब अपनी पार्टी के कार्य प्रणाली से नाराज होकर नेता या विधायक दूसरे दल में शामिल हुए हैं लेकिन कभी भी इस तरह की शब्दावली का इस्तेमाल हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक इतिहास में देखने और सुनने को नहीं मिला।

विपिन सिंह परमार ने कहा कि खुद की कार्य प्रणाली को सुधारने की जगह नेताओं पर बिना किसी सबूत के झूठे आरोप लगाना मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता। मुख्यमंत्री ने जो सत्ता में आते हुए कहा था कि वह व्यवस्था परिवर्तन करेंगे लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की जगह अब मुख्यमंत्री झूठ की राजनीति कर रहे हैं ना मुख्यमंत्री ने अपनी चुनावी वादों को पूरा किया बल्कि 15 महीने मुख्यमंत्री ने विपक्ष को पूछते हुए ही निकाल दिए आज मुख्यमंत्री के पास अपनी कोई भी उपलब्धि प्रदेश की जनता को बताने के लिए नहीं है

विपिन सिंह परमार ने कहा कि मुख्यमंत्री जब से सत्ता में आए हैं तब से उन्होंने केवल झूठ ही बोला है और लगातार झूठ ही बोलते आ रहे हैं। उनके झूठ का सबसे बड़ा सबूत तो इस बार विधानसभा व प्रदेश की जनता को मिल गया जहां पर वह अपने मेनिफेस्टो में दी गारंटी युवाओं को सरकारी नौकरी को ही झुठलाने पर आमदा हो गए। महिलाओं को 1500, युवाओं को सरकारी रोजगार, ऐसे बहुत से झूठ हैं जो मुख्यमंत्री अपनी स्थिति को सही साबित करने के लिए समय समय पर बोलते रहे है।

परमार ने मुख्यमंत्री सुक्खू को नसीहत देते हुए कहा कि बिना सबूतों के वो जनता की हमदर्दी बटोरने के लिए झूठ न बोल कर यह मान लें कि आपके जनता विरोधीकार्य से आहत हो कर नौ विधायकों ने आपके साथ को नाकारा हैं। वह एक असफल और झूठे मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास के के पन्नों पर दर्ज होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील