आईजीएमसी प्रकरण प्रदेश सरकार की विफलता का प्रतीक : विपिन सिंह परमार

 


धर्मशाला, 27 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वर्तमान विधायक विपिन सिंह परमार ने शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में घटित दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक व्यक्ति या संस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था, प्रशासनिक संवेदनशीलता और निर्णय क्षमता की गंभीर कमी को उजागर करती है।

शनिवार को जारी एक प्रेस बयान में विपिन सिंह परमार ने कहा कि वे शिमला में हुई इस घटना की दोनों पक्षों से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। किसी भी परिस्थिति में हिंसा, अभद्र व्यवहार या मर्यादाओं का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं हो सकता। चाहे वह चिकित्सक हों या मरीज पक्ष—संयम, संवाद और कानून के दायरे में रहना सभी की जिम्मेदारी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर जो वीडियो प्रसारित हो रहा है, उसमें केवल एक पक्ष का दृश्य सामने आया है, जिसमें डॉक्टर की कथित गलती दर्शाई जा रही है। लेकिन उससे पहले क्या हुआ, परिस्थितियां क्या थीं, विवाद की जड़ क्या थी, इस संबंध में कोई समग्र और निष्पक्ष तथ्य सामने नहीं आए हैं। ऐसे में बिना पूरी जांच के किसी एक पक्ष को दोषी ठहराना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि समाज में भ्रम और अविश्वास भी पैदा करता है।

परमार ने कहा कि सरकार को चाहिए था कि वह इस मामले को सब्र, समझदारी और संवेदनशीलता के साथ लेती। दोनों पक्षों से बात कर, सीसीटीवी फुटेज, प्रत्यक्षदर्शियों और तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष जांच कराई जाती। दुर्भाग्यवश, प्रदेश सरकार ने जल्दबाजी और ढुलमुल रवैये का परिचय दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ी।

उन्होंने कहा कि चिकित्सक समाज का सम्मान करना सरकार और समाज—दोनों की जिम्मेदारी है। डॉक्टर किसी साधारण प्रक्रिया से नहीं, बल्कि कठिन ऑल इंडिया लेवल की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर वर्षों की पढ़ाई और प्रशिक्षण के बाद इस सेवा में आते हैं। उनका करियर, उनका ज्ञान और उनका अनुभव समाज की अमूल्य धरोहर है। किसी भी घटना में डॉक्टरों को दोषी ठहराने से पहले उनके पक्ष को सुनना और तथ्यों की पूरी पड़ताल करना अनिवार्य है। परमार ने कहा कि यदि किसी स्तर पर चिकित्सकीय लापरवाही या अमर्यादित व्यवहार हुआ है, तो कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया