प्राकृतिक आपदाओं पर देश दुनिया के वैज्ञानिक सीयू में करेंगे मंथन: कुलपति

 


धर्मशाला, 30 अक्टूबर (हि.स.)। पहाड़ों में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं पर देश दुनिया के वैज्ञानिक छह से आठ नंबवर तक धर्मशाला में मंथन करेंगे। भूकंप सहित पहाड़ों के दरकने पर शोध करके केंद्रीय विवि धर्मशाला केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को एक व्हाइट पेपर भी सौंपेगा। जिससे भविष्य में पहाड़ों में होने वाली आंतरिक हलचल से पैदा होने वाले खतरों से बचाव के उपाए सुझाए जाएंगे। इस इंटरनैशनल कांफ्रेंस में भारत और अमेरिका सहित विभिन्न देशों के भू वैज्ञानिक मंथन करेंगे।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने सोमवार को कहा कि धौलाधार पर्वत वैज्ञानिक समुदाय के लिए भूवैज्ञानिक अनुसंधान के पसंदीदा विषयों में से एक है। भूवैज्ञानिक रूप से यह क्षेत्र अब तक अज्ञात है। वैज्ञानिक और शोधकर्ता पहाड़ों के इस हिस्से की ओर आकर्षित नहीं हो सके हैं।

प्रो. बंसल ने बताया कि प्रदेश में पहली बार छह से आठ नवंबर तक भारतीय भूवैज्ञानिक सोसायटी के सहयोग से सीयू में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।

कुलपति बंसल ने बताया कि हिमालय क्षेत्र के जीपीएस अवलोकन ने पश्चिम से पूर्व तक अभिसरण दर में भिन्नता दिखाई है। साथ ही संकेत दिया है कि बहुत सारी ऊर्जा जमा हो गई है जो हिमालय खंड के किसी भी हिस्से में भविष्य में भूकंप का बड़ा कारण बन सकती है। इसके अलावा, हिमालय के सामने वाले हिस्से में बहुत अधिक शहरी आबादी रहती है और यह भूकंपीय खतरों और साइट प्रवर्धन कारकों से ग्रस्त है। हाल ही में हिमाचल ने भारी प्राकृतिक तबाही का मंजर देखा है। जिसमें जान माल का काफी नुकसान हुआ है।

कुलपति ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए ऊर्जा संसाधन, मौसम संबंधी परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग, भूकंपीय मॉडल, तनाव संचय का स्तर और वर्तमान भूकंपीयता पैटर्न की गहन शोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण मुद्दों में प्रगति का व्यापक मूल्यांकन करने के लिए, भारतीय भूवैज्ञानिक सोसायटी के सहयोग से सीयू धर्मशाला में उनके वार्षिक कार्यक्रम के साथ तीन दिवसीय कार्यक्रम करेगा।

समापन सत्र के दौरान विशेषज्ञों की उचित सिफारिश के बाद हिमाचल पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्राकृतिक खतरों पर विभिन्न परियोजनाएं विकसित करने की भी योजना बनाई गई है। कार्यशाला का एक सत्र हिमाचल प्रदेश के खनिज/प्राकृतिक संसाधनों पर केंद्रित होगा। जिसमें हाल के भूस्खलन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। जिसने 2021 में पूरे उत्तराखंड और हिमाचल राज्य में बहुत तबाही मचाई थी और उनके समाधान के उपाय किए गए थे। अंतिम आधा दिन धर्मशाला के आसपास फील्डवर्क पर केंद्रित होगा।

राज्यपाल सहित कई नामी हस्तियां करेंगी शिरकत

इस सम्मेलन में प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, पदमश्री प्रो. हर्ष गुप्ता (जिन्होंने भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना की है।) सदस्य, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी), अध्यक्ष, जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ,प्रधान संपादक, ठोस पृथ्वी भूभौतिकी विश्वकोश (स्प्रिंगर), सह-प्रधान संपादक, प्राकृतिक खतरे (स्प्रिंगर) पूर्व अध्यक्ष, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोडेसी एंड भूभौतिकी (आईयूजीजी) क्रिस्टोफर चक बेली प्रोफेसर और अध्यक्ष, भूविज्ञान विभाग, विलियम और मैरी मैकग्लोथलिन-स्ट्रीट हॉल 227 यूएसए प्रो. आरपी. तिवारी, एचवीसी, सीयू पंजाब प्रो. जीडी. शर्मा, अध्यक्ष एआईयू, दिल्ली डीसी. राणा, आईएएस, निदेशक, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हिमाचल प्रदेश (एसडीएमए) शिरकत कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील