सुनने और देखने में असमर्थ बधिरान्त लोगों ने अपने हौंसले के दम पर एक दिन में पूरा किया त्रियुंड का ट्रैक
धर्मशाला, 27 मार्च (हि.स.)। कहते हैं कि हौसलों की उड़ान के आगे सब बौना लगता है। सुनने और देखने में असमर्थ बधिरान्त (डेफ ब्लाइन्ड) लोगों ने धौलाधार रेंज में स्थित विख्यात ट्रैकिंग स्थल त्रियुंड पंहुचकर इस बात को सही कर दिखाया है। इन लोगों ने एक ही दिन में चुनौती भरे पहाड़ी ट्रैक के सफर को पूरा कर त्रियुंड पंहुचने का अकल्पनीय कार्य कर दिखाया है। यह लोग धर्मशाला के सिद्धबाड़ी स्थित काॅर्ड संस्था में सेंस इंडिया इंटरनेशनल के सौजन्य से पांच दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लेने आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया।
देश भर के 10 राज्यों से 45 बधिरान्त लोगों, उनके माता पिता व विशेष शिक्षकों के लिए पांच दिन की इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में सेंस इंडिया इंटरनेशनल के राष्ट्रीय नेटवर्क उड़ान, प्रयास व अभिप्रेरणा के कार्यकारिणी सदस्यों ने भाग लिया। इस कड़ी में प्रतिभागियों ने त्रियुंड ट्रैक पूरा किया जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना से कम नहीं है। दिव्यांगता के बावजूद इन डेफ ब्लाइन्ड लोगों ने अपनी दृढ़ता का परिचय देते हुए धौलाधार की पहाड़ियों के त्रियूंड ट्रैक को एक दिन में पूरा किया, जो कि अपने आप में एक मिसाल से कम नहीं है।
गौरतलब है कि कॉर्ड बधिरान्त लोगों के लिए सेंस इंडिया इंटरनेशनल के सहयोग से स्टेट रिसोर्स सेंटर के रूप में काम कर रहा है। कॉर्ड के समुदाय आधारित समावेश एवं विकास कार्यक्रम से अभी तक 14 बधिरान्त लोग जुड़ चुके हैं। कॉर्ड से हिमाचल प्रदेश के बधिरान्त बच्चों के माता पिता व गैर सरकारी संस्थाएं भी उनके पुनर्वास के लिए संपर्क कर सकते हैं। इस पांच दिवसीय कार्यशाला में असम, केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश से इन लोगों ने हिस्सा लिया।
हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र
/सुनील