जयराम ठाकुर ने किया चेतन गुलेरिया की पुस्तक अंत्योदय के व्यवहारिक प्रयोग का विमोचन

 


मंडी, 04 नवंबर (हि.स.)। जिला परिषद सदस्य डॉ. चेतन सिंह गुलेरिया द्वारा लिखित पुस्तक अंत्योदय के व्यावहारिक प्रयोग का विमोचन जिला परिषद मंडी के हॉल में किया गया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेताप्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की। जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति सतप्रकाश बंसल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की । उन्होंने इस पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि यह पुस्तक जन-जन में अंत्योदय के लक्ष्य और लाभ को पहुंचाने में कामयाब हो।

उन्होंने कहा कि अंत्योदय पंडित दीन दयाल उपाध्याय का विचार था। जो स्वयंसेवक संघ से शुरू होकर जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी तक पहुंचते-पहुंचते भी जिंदा है। जयराम ठाकुर ने विचार मानव जीवन के बाद भी जिंदा रहता है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय एक राष्ट्रवादी चिंतक, संगठनकर्ता थे। उनका पूरा जीवन एकात्म मानववाद की विचारधारा पर आधारित था। उनके जाने के बाद भी उनका यह विचार अंत्योदय के रूप में हम सबके बीच में है।

उन्होंने कहा कि आज भारत में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का जो मंत्र है, वह अंत्योदय के सिद्धांत का ही विस्तार है। दीनदयाल जी का सपना था एक ऐसा भारत जहां कोई भी भूखा, बेरोज़गार या असहाय न रहे।आज मोदी जी उसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम किया।

जयराम ठाकुर ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय पूरे देश के लिए मार्गदर्शक थे और उनके ऊपर कई शोधकर्ताओं ने शोध किए हैं। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल के कारण देश में अंत्योदय योजना चल रही है और उसी दृष्टि से एक विजन जो समाज को अपना योगदान आज भी दे रहा है और आने वाले समय में भी देगा। ऐसी एक किताब जोकि डॉक्टर चेतन गुलेरिया के माध्यम से लिखी गई है उसका विमोचन किया गया।

इस अवसर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति सतपाल बंसल ने कहा कि विवि द्वारा दीन दयाल शोध केंद्र की स्थापना की गई है , जिसके अंतर्गत इस तरह के शोधकार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चेतन गुलेरिया ने इस पर शोधकार्य किया है और अंत्योदय के व्यवहारिक प्रयोग नामक पुस्तक का प्रकाशन किया है। उन्होंने कहा कि देश में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचे यही दीन दयाल उपाध्याय जी का भी उद्देश्य था। समाज के अंतिम व्यक्ति की पहचान कर उस तक वो मदद कैसे पहुंचे इस बारे में योजनाएं बनाने की जरूरत है।

अंत्योदय के व्यवहारिक प्रयोग पुस्तक के लेखक डा. चेतन गुलेरिया ने कहा कि उनके द्वारा लिखित पुस्तक पंडित दीन दयाल उपाध्याय के उस विचार को परिलक्षित करती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजनाएं नहीं पहुंचेगी, तब तक हमारा हर प्रयास अधूरा है। इस अवसर पर ठाकुर राम सिंह शोध संस्थान के निदेशक डा. चेतराम गर्ग ने भी पुस्तक के संदर्भ में सारगर्भित चर्चा की।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा