पाइप लीकेज से बना था भट्टाकुफर सड़क पर गड्ढा, ब्लास्टिंग पर रोक की सिफारिश
शिमला, 16 दिसंबर (हि.स.)। राजधानी शिमला के भट्टाकुफर इलाके में सड़क किनारे गड्ढा पड़ने की घटना को लेकर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप को सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह घटना मुख्य रूप से दो पानी की पाइपों में हुई लीकेज के कारण हुई, जबकि टनल निर्माण के दौरान होने वाली कंपन को द्वितीयक यानी सहायक कारण बताया गया है।
जीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार 22 नवम्बर 2025 को भट्टाकुफर सड़क पर 2.2 मीटर लंबा, 1.5 मीटर चौड़ा और करीब 4 मीटर गहरा गड्ढा बना था। टीम ने मौके पर पहुंचकर इसका विस्तृत सर्वेक्षण किया। जांच में सामने आया कि जमीन के नीचे बिछी दो पानी की पाइपों से लगातार रिसाव हो रहा था, जिससे मिट्टी कमजोर होती चली गई और आखिरकार सड़क धंस गई।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि टनल निर्माण के दौरान होने वाली वाइब्रेशन यानी कंपन ने स्थिति को और गंभीर बनाया। इसी को ध्यान में रखते हुए जीएसआई ने टनल निर्माण के लिए ब्लास्टिंग पूरी तरह बंद करने का सुझाव दिया है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मैनुअल तरीके से, यानी बिना ब्लास्टिंग के काम करने पर कोई रोक नहीं है।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने टनल निर्माण कर रही कंपनी के प्रतिनिधियों से इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि मार्च 2024 में जब टनल निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस समय कराया गया सर्वेक्षण और उससे जुड़ा पूरा रिकॉर्ड प्रशासन को उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा निर्माण के दौरान जिला प्रशासन के साथ हुए पत्राचार, दिए गए सुझावों और उनके क्रियान्वयन को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी गई है।
उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन की प्राथमिकता आम लोगों की जान और उनकी संपत्ति की सुरक्षा है। उन्होंने बताया कि फोरलेन परियोजना के तहत चल रहे टनल निर्माण कार्य के दायरे में आने वाले कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। जिला प्रशासन की टीम ने स्वयं मौके पर जाकर इन घरों का निरीक्षण किया है। निर्माण कर रही कंपनी ऐसे घरों को हुए नुकसान की अलग से रिपोर्ट तैयार करेगी और प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए प्रशासन हर संभव मदद करेगा।
उपायुक्त ने यह भी बताया कि जीएसआई की रिपोर्ट में पाइप लीकेज को प्रमुख कारण बताए जाने के बाद जल शक्ति विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित पाइपों की मरम्मत कर दी है। जांच में यह सामने आया कि वहां पाइप लाइन में एक रिड्यूसर लगा था, जिसकी वजह से लीकेज हो रही थी। अब जल शक्ति विभाग से यह भी रिपोर्ट मांगी गई है कि टनल निर्माण से प्रभावित पूरे क्षेत्र में जमीन के नीचे कहां-कहां और किस प्रकार की पाइप लाइनें बिछी हुई हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा