हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र सम्पन्न, छह विधेयक हुए पारित
शिमला, 5 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का आठ दिवसीय शीतकालीन सत्र शुक्रवार को धर्मशाला के तपोवन में सम्पन्न हो गया। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। यह सत्र प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्रों में सबसे लंबा माना गया है। इन आठ बैठकों के साथ ही विधानसभा ने अपने कैलेंडर ईयर में निर्धारित न्यूनतम 35 बैठकों का लक्ष्य भी पूरा कर लिया है। इस सत्र में कुल छह विधेयक पारित हुए।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया कि शीतकालीन सत्र की कार्यवाही कुल 34 घंटे चली और सदन की उत्पादकता 85 प्रतिशत रही। सत्र में सत्तापक्ष को साढ़े 16 घंटे और विपक्ष को साढ़े 15 घंटे अपनी बात रखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 के बाद पहली बार इस साल विधानसभा की 35 बैठकों का लक्ष्य पूरा हुआ।
सत्र के दौरान 376 तारांकित और 118 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए। नियम 61 के तहत दो और नियम 62 के तहत 10 विषयों पर चर्चा हुई। नियम 67 के तहत पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय शहरी निकायों के चुनाव पर प्रस्तावित ‘काम रोको’ पर पांच घंटे आठ मिनट चर्चा हुई, जिसमें 18 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस चर्चा का एक घंटे चार मिनट तक जवाब दिया गया। सत्र के दौरान दो दिन निजी कार्य दिवस के लिए रखे गए। एक संकल्प चर्चा के बाद वापस ले लिया गया, जबकि एक संकल्प को सरकार ने मंजूर कर लिया।
नियम 130 के तहत दो विषय आए, जिनमें से एक पर चर्चा हुई। इसके अलावा सत्र में छह विधेयक पेश और पारित किए गए, जबकि एक विधेयक को आगे विचार के लिए सदन की चयन समिति को भेजा गया। सत्र के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मौजूदा सत्र विधानसभा के इतिहास का कांगड़ा में सबसे लंबा शीतकालीन सत्र रहा। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा समय दिया गया।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से यह आग्रह किया कि सदन में हुई बहस की वीडियो और ऑडियो क्लिपिंग को सार्वजनिक करते समय असंसदीय शब्दों को हटा दिया जाए, ताकि कोई आपत्तिजनक शब्द जनता तक न पहुंचे।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष को सुने बिना कोई भी चर्चा सार्थक नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि सरकार के पास अपनी बात रखने के कई मौके होते हैं, जबकि विपक्ष के लिए विधानसभा सत्र ही ऐसा अवसर है जहां वह खुलकर अपनी राय रख सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सत्र के दौरान तलखी के कई मौके आए, लेकिन सत्र की समाप्ति पर यह तलखी समाप्त हो जानी चाहिए। जयराम ठाकुर ने उम्मीद जताई कि भविष्य में विपक्ष के सवालों के संतोषजनक उत्तर मिलेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा