हिमाचल हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव पर सुनवाई 30 दिसंबर को
शिमला, 22 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव समय पर करवाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 30 दिसंबर तक के लिए टाल दी गई है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 30 दिसंबर तय की है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
जनहित याचिका में मांग की गई है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव संविधान के प्रावधानों के अनुसार समय पर करवाए जाएं। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पंचायत चुनाव हर पांच साल बाद करवाना अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने तय समय सीमा के भीतर चुनाव करवाने को लेकर कोई ठोस तैयारी नहीं की है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि पंचायत प्रतिनिधियों का मौजूदा कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो रहा है। याचिका में आशंका जताई गई है कि सरकार आपदा अधिनियम का सहारा लेकर पंचायत चुनाव टालने की कोशिश कर सकती है। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से पहले कोर्ट को यह आश्वासन दिया गया था कि चुनाव प्रक्रिया 21 दिसंबर से पहले शुरू कर दी जाएगी।
इस बीच, एक अन्य महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने सोलन जिले के कुनिहार को नगर पंचायत बनाने से जुड़ी राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने कुनिहार विकास सभा और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार की अधिसूचना को निरस्त कर दिया और पूरे मामले पर दोबारा विचार करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि कुनिहार के स्थानीय निवासियों और नगर पंचायत कुनिहार द्वारा दी गई आपत्तियों को केवल औपचारिक रूप से एक चार्ट में दर्ज किया गया। लेकिन संबंधित सक्षम प्राधिकारी ने उन आपत्तियों पर कोई तर्कसंगत और स्पष्ट आदेश पारित नहीं किया। इसके बजाय इन आपत्तियों को अन्य दस्तावेजों के साथ सीधे मंत्री परिषद के विचार के लिए भेज दिया गया। कोर्ट ने कहा कि मंत्री परिषद के सामने रखे गए दस्तावेजों से ऐसा प्रतीत होता है मानो आपत्तियों पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत विचार कर लिया गया हो। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। इसी आधार पर मंत्री परिषद ने अंतिम अधिसूचना को मंजूरी दे दी, जो कोर्ट के अनुसार गलत और रिकॉर्ड के विपरीत है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में शहरी विकास विभाग के सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर कानून के अनुसार 10 जनवरी 2026 या उससे पहले पुनर्विचार करें।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा