राज्यपाल ने किया डॉ. रामचन्द्र तिवारी की पुस्तकों का लोकार्पण

 




शिमला, 5 फरवरी (हि. स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के दीन दयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय में दो पुस्तकों को लोकार्पण किया।

सोमवार को उत्तर प्रदेश के दीन दयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में एक पुस्तक लोकार्पण समारोह आयोजित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की। इस मौके पर राज्यपाल शुक्ल ने डॉ. रामचन्द्र तिवारी की दो पुस्तकों ‘हिन्दी का गद्य-साहित्य’ के 15वें संस्करण और ‘योग के विविध आयाम’ के तृतीय संस्करण का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हिन्दी साहित्य की जिस कृति की डॉ. तिवारी ने आधारशिला रखी है, वह विचार और चिंतन भावी पीढ़ी के लिए पथ-प्रवर्तक का कार्य करेगा। उन्होंने जहां हिन्दी-गद्य के स्वरूप-विकास की बात है, वहीं क्रमवार इसके विकास को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि हिन्दी-गद्य अपने विकास के प्रथम चरण से ही एक मध्यमार्गीय किन्तु उदार दृष्टि अपनाकर आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि तिवारी ने हिन्दी-गद्य की विधाओं के विकास पर गहन अध्ययन किया है।

उन्होंने कहा कि हिन्दी-गद्य-साहित्य को आज ऐसे प्रान्तों की जन-चेतना का भी प्रतिनिधित्व करना है, जो विकास एवं प्रगति की दृष्टि से हिन्दी-प्रदेश से सैकड़ों वर्ष आगे हैं। उन्होंने कहा कि लेखक ने पत्र-पत्रिकाओं के संक्षिप्त इतिहास का जो अवलोकन किया है, वह हिन्दी पत्रकारिता से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणादायक है साथ ही, भावी पीढ़ी के पत्रकारों के लिए मार्गदर्शन और शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान का भण्डार है।

राज्यपाल ने कहा कि डॉ. रामचन्द्र तिवारी की पुस्तक ‘‘योग के विविध आयाम’’ में जो सार दिया है उसके अनुसार विज्ञान की जड़-शक्ति को विवेक से नियंत्रित करने के लिए जिस अध्यात्म-तत्व की आवश्यकता है, वह योग-विद्या मेें ही निहित है। उन्होंने कहा कि योग-विद्या का ज्ञान और उसकी सही समझ आज के युग की एक आवश्यकता है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति की दिशा में एक प्रयास है, जिसमें योग-विद्या से सम्बद्ध प्रायः सभी महत्वपूर्ण विषयों को यथासंभव बोधगम्य शैली में प्रस्तुत किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/सुनील