स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की जयंती मनाई
मंडी, 28 नवंबर (हि.स.)। मंडी के महान वीर सपूत स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की 139वीं जयंती पर भाई हिरदा राम स्मारक समिति मंडी के सौजन्य से आयोजित की गई। इस अवसर पर मंडी की इंदिरा मार्केट में स्थित भाई हिरदा राम स्मारक में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में भाई हिरदा राम स्मारक समिति मंडी के सचिव कृष्ण कुमार नूतन, भाई हिरदा राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास व परिवार के अन्य सदस्य, नगर निगम मंडी की उपमहापौर माधुरी कपूर, राजपूत सभा के अध्यक्ष इंद्र सिंह ठाकुर, साहित्यकार मुरारी शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता पं. मनोहर लाल, अशोक अवस्थी, मान सिंह राणा, उपन्यासकार डा. गंगा राम राजी, अमर सिंह गुलेरिया, धर्मेंद्र राणा, प्रवीण शर्मा, हरमीत सिंह बिट्टू सहित अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों ने मंडी की इंदिरा मार्केट में स्थित भाई हिरदा राम स्मारक में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस मौके पर हिरदा राम स्मारक समिति मंडी के सचिव कृष्ण कुमार नूतन ने बताया कि क्रांतिकारी भाई हिरदा राम उनके आर्दश रहे उन्होंने इस सच्चे देशभक्त पर लेख और पाठयपुस्तकों में शामिल करवाया। उन्होंने कहा कि क्रांतिकारी भाई हिरदा राम ने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों की अनेक यातनाएं हंसते-हंसते सही। मंडी में गदर पार्टी की स्थापना और अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
उन्होंने कहा कि स्वामी कृष्णानंद के संसर्ग में रह कर ही भाई हिरदा राम क्रांति की राह पर चले और सदा-सदा के लिए अमर रहेंगे। वहीं पर भाई हिरदा राम पर उपन्यास की रचना करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार गंगा राम राजी ने कहा कि रानी खैरगढ़ी ने भाई हिरदा राम को क्रांतिकारी रास बिहारी बोस के पास बम बनाने के लिए मंडी से अमृतसर भेजा और वे बम बनाने में इतने माहिर हो गए थे कि उनके बनाए हुए बमों का प्रयोग किया। इसलिए उन्होंने अपनी पुस्तक का नाम बम मास्टर भाई हिरदा राम लिखा।
वहीं पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि भाई हिरदा राम को दी गई फांसी की सजा उनकी नाबालगि पत्नी की अपील पर वायसराय ने आजीवन कारावास में बदल दी थी। जिसके चलते उन्हें अंडेमान की सेलल्यूर जेल में वीर सावरकर की बैरक के साथ ही रखा गया था। जिसकी वजह से वे उनके करीबी बन गये थे। इसके बाद मद्रास जेल में सजा काटने के बाद वे 1929 में रिहा होकर वापस अपने शहर मंडी लौटे।
वही पर उपमहापौर माधुरी कपूर ने कहा कि भाई हिरदा ऐसे सपूत रहे हैंए जिनके कारण आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने साहित्यकार केके नूतन का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने भाई हिरदा राम को मरणोपरांत अमर कर दिया। उन्होंने कहा कि भाई हिरदा राम कालापानी में आजीवन कारावास की सजा भुगतते हुए स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ जेल में रहे। 28 नवंबर 1885 को मंडी में जन्मे भाई हिरदा राम का 21 अगस्त 1965 को देहांत हुआ था।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा