एसपीयू के प्रोफेसर डॉ. आशीष कुमार को एएनआरएफ से मिली 48 लाख रुपए की अनुसंधान निधि
मंडी, 23 दिसंबर (हि.स.)। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. आशीष कुमार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के प्रोफेसर वेंकट कृष्णन ने भारत सरकार के अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन से 95 लाख रुपए की शोध परियोजना संयुक्त रूप से प्राप्त की है। इस परियोजना निधि से प्रत्येक संस्थान को लगभग 48 लाख रुपए प्राप्त होंगे। इस परियोजना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एसपीयू मंडी की वेबसाइट पर विज्ञापन के माध्यम से जल्द ही एक जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) की भर्ती की जाएगी और 41 लाख रुपए मूल्य के दो प्रमुख उपकरण खरीदे जाएंगे। फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल सिस्टम का उपयोग करके प्लास्टिक कचरे और बायोमास का एक साथ अपसाइक्लिंग नामक स्वीकृत परियोजना पर चर्चा के दौरान, डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि प्रतिवर्ष लगभग 5 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक का भारी मात्रा में उत्पादन होता है और इससे उत्पन्न कचरा दशकों तक पर्यावरण में बना रहता है, जो वैश्विक प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसी प्रकार, वानिकी, कृषि अपशिष्ट और उद्योगों से भी प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में बायोमास अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें उच्च कार्बन सामग्री होती है और इसे संभावित नवीकरणीय कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इस क्षमता के बावजूद, जैवमास का एक बड़ा हिस्सा या तो अप्रयुक्त रहता है या जलाने या लैंडफिलिंग के माध्यम से अप्रभावी ढंग से निपटाया जाता है। परिणामस्वरूप, यह संसाधनों के चक्रीय उपयोग और ऊर्जा पुनर्प्राप्ति के अवसरों का भारी नुकसान होता है। इस परियोजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल (पीईसी) प्रणाली का उपयोग करके गैर-कीमती धातु-आधारित उत्प्रेरकों के माध्यम से प्लास्टिक कचरे और जैवमास को एक साथ मूल्यवर्धित उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए एक तीर से दो निशाने; रणनीति का उपयोग करना है। पारंपरिक प्रक्रियाओं में, जैवमास और प्लास्टिक कचरे दोनों को अलग-अलग संसाधित किया जाता है और इसके लिए कठोर ऊष्मा रासायनिक और दबाव की स्थितियों की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, प्रस्तावित पीईसी प्रणाली जैवमास और प्लास्टिक अपशिष्ट दोनों को एक साथ, सौम्य परिस्थितियों में मूल्यवर्धित उत्पादों में परिवर्तित करने में सक्षम बनाती है। यह प्रक्रिया दोनों अभिक्रियाओं को एक साथ और बिना किसी बाहरी तापमान या दबाव के संपन्न करके ऊर्जा और समय की बचत करती है। इस परियोजना का परिणाम विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट पुनर्चक्रण के लिए एक सुदृढ़ प्रणाली प्रदान करेगा और दो प्रमुख वैश्विक अपशिष्ट धाराओं को एक साथ मूल्यवर्धित उत्पादों में परिवर्तित करके सतत और चक्रीय रसायन विज्ञान के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित करने की उम्मीद है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के कुलपति प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि यह परियोजना अपशिष्ट उपचार और अपसाइक्लिंग के लिए टिकाऊ और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास में लाभकारी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी परियोजनाएं एसपीयू मंडी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी सहायक होंगी। कुलपति प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, अनुसंधान डीन डॉ. लखवीर सिंह, योजना एवं विकास डीन और रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सनील ठाकुर और अकादमिक डीन डॉ. करण गुप्ता ने डॉ. आशीष कुमार को इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए विश्वविद्यालय और रसायन विज्ञान विभाग को धनराशि दिलाने पर हार्दिक बधाई दी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा