पीएम मत्स्य संपदा योजना में हिमाचल के लिए 127 करोड़ मंजूर

 


शिमला, 31 जुलाई (हि.स.)। केंद्र सरकार प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रहा है। इस योजना के तहत पिछले चार वर्षों में केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के लिए 127 करोड़ से अधिक की धनराशि को स्वीकृति प्रदान की है। राज्यसभा सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार द्वारा बुधवार को संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पीएमएमएसवाई के क्रियान्वयन के विगत 4 वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के मात्स्यिकी विकास प्रस्तावों को 61.52 करोड़ रू0 केन्द्रीय अंश के साथ 127.67 करोड़ रू0 की लागत से मंजूरी दी है। इसके अलावा अनुमोदित परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार को 38.14 करोड़ रूपये की केन्द्रीय निधि जारी की है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय निधि का 25.55 करोड़ रूपये का इस्तेमाल किया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पीएमएमएसवाई की शुरूआत के बाद से हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न मात्स्यिकी और जलीय कृषि गतिविधियों में हिमाचल प्रदेश के कुल 12,171 बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान किया है।

डॉ0 सिकंदर के एक अन्य सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पिछले एक वर्ष में हिमाचल प्रदेश में मत्स्य उत्पादन में उछाल आया है। हिमाचल प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 के दौरान अंतर्देशीय मत्स्य पालन उत्पादन 17721 टन है और वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 जून तक 3300 टन है।

केन्द्रीय मंत्री ने आगे बताया कि मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2018-19 से 7522.48 करोड़ रू0 के कुल फंड के साथ एक समर्पित फंड यानि मात्स्यिकी एवं जल कृषि अवसंरचना विकास निधि/फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमंेट फंड (एफआईडीएफ) का संचालन कर रहा है।

उन्होंने बताया कि 2021-22 के दौरान मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने गगरेट में अत्याधुनिक मात्स्यिकी प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत 5.17 करोड़ रूपये की कुल परियोजना लागत वाले प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है जिसमें ब्याज अनुदान के लिए परियोजना लागत को 5 करोड़ रू0 तक सीमित किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा / सुनील शुक्ला