डॉ. सिकंदर कुमार ने राज्यसभा में उठाया हिमाचल के बाढ़ प्रबंधन कार्यों का मामला

 


शिमला, 29 जुलाई (हि.स.)। सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश में बाढ़ प्रबन्धन कार्यों का मुद्दा सोमवार को राज्यसभा में उठाया। उन्होंने प्रदेश में बाढ़ और तटीय कटाव के कारण प्रभावित हुए ब्यास व सतलुज घाटी के उपरी इलाकों के बारे में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से जानकारी मांगी। सिकंदर कुमार ने कहा कि तटीय कटाव की रोकथाम की परियोजनाओं के लिए क्या कोई धनराशि प्रदान की गई है ? क्या केंद्र सरकार ने इन प्रभावित क्षेत्रों में जीवन रक्षा के लिए कोई तत्काल उपाय किए हैं ?

इसके जवाब में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने बताया कि बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) योजना के तहत केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में हिमाचल प्रदेश को 224.79 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदान की है। उन्होंने बताया कि वितीय वर्ष 2019-20 में 176.41 करोड़, 2020-21 में 11.87 करोड़, 2.21-22 में 6.35 करोड़ और 2023-24 में 30.16 करोड़ रूपये जारी किए गए हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि एफएमबीएपी योजना के तहत ब्यास और सतलुज नदियों पर पांच बाढ़ प्रबंधन परियोजनों को वित पोषण के लिए शामिल किया गया है। इनमें चार परियोजनाओं का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। जबकि मंडी जिला के सरकाघाट तहसील में ब्यास नदी पर स्थित कांडा पट्टन परियोजना का निर्माण कार्य जारी है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उना जिला की स्वां परियोजना के लिए सबसे ज्यादा 594 करोड़ केंद्रीय मदद जारी की गई है। इस परियोजना से 7163 हैक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा, जबकि दो लाख से अधिक लोग इस परियोजना से लाभांवित होंगे। सी. आर. पाटिल ने बताया कि ब्यास और सतलुज घाटी के उपरी क्षेत्रों सहित हिमाचल प्रदेश राज्य विविध स्तरों पर पर नदी तटीय और आकस्मिक बाढ़ संभावित क्षेत्र हैं और इन हिस्सों में तटीय कटाव होना नदी की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि कटाव नियंत्रण सहित बाढ़ प्रबंधन का कार्य राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है और संबंधित राज्यों द्वारा उनकी प्राथमिकता के अनुसार बाढ़ नियंत्रण और कटाव रोधी परियोजनाओं की आयोजना और कार्यान्वयन किया जाता है।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने बताया कि केन्द्रीय जल आयोग द्वारा हिमाचल प्रदेश में 26 जल विज्ञान संबंधी प्रेक्षण नेटवर्क का रखरखाव किया जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा नेशनल फ्लैश फ्लड गाइडेंस बुलेटिन भी जारी किया जाता है। डॉ. सिकंदर कुमार ने सदन में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाइ) की हिमाचल प्रदेश में वर्तमान स्थिति और वित्तीय उपलब्धियों सम्बन्धी मामला उठाया। इसके जवाब में केन्द्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की श्री रेणुका जी राष्ट्रीय परियोजना को वर्ष 2021-26 के लिए पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के अनुमोदित प्रावधानों के माध्यम से केन्द्रीय सहायता प्रदान की जा रही है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्त वर्ष यानी 2024-25 में पीएमकेएसवाई योजना के किसी भी घटक के तहत हिमाचल प्रदेश को अभी तक निधि जारी नहीं की गई है। जल संरक्षण कार्यान्वयन सम्बन्धी प्रश्न का जवाब देते हुए केन्द्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर वर्षा, हिम जल संरक्षण प्रणाली की योजना, डिजाइन, निर्माण और रखरखााव के माध्यम से जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के उदेश्य से एक परियोजना तैयार की गई है। इस डीपीआर में 1269.29 करोड़ रू0 की अनुमानित लागत के साथ 461 वर्षा जल संचयन संरचनाओं, 194 तालाबों के निर्माण, 145 बर्फ स्तूपों, 1130 हिम पुलों/रैक और पुनर्भरण के लिए 244 हिम गडढों के निर्माण का प्रावधान शामिल है।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा / सुनील शुक्ला