डल और खजियार झील के पुनरुद्धार के लिए बुलाए गए झील संरक्षक और भू-वैज्ञानिक

 

शिमला, 16 अक्टूबर (हि.स.)। धर्मशाला के नड्डी स्थित डल झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार एवं कायाकल्प के लिए उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने जल शक्ति, पर्यटन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ आज एक मैराथन बैठक की। बैठक में अधिकारियों से मौके की रिपोर्ट ली गई और झील के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश दिए गए।

केवल सिंह पठानिया ने कहा कि लाखों लोगों की धार्मिक आस्था और पर्यटन का केंद्र, छोटा मणिमहेश के नाम से विख्यात डल झील के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है और इसका जल्द पुनरुद्धार कार्य आरंभ किया जाएगा। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी, जिसके बाद तुरंत पुनरुद्धार का काम शुरू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि डल झील में रिसाव को रोकने के लिए जिला कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा, जो भारत के लेकमैन के नाम से विख्यात आनंद मल्लिगावड के संपर्क में हैं। भू-वैज्ञानिकों को भी विशेषज्ञ राय के लिए बुलाया गया है। आनंद मल्लिगावड ने बेहद कम लागत से प्रकृति के अनुकूल प्रभावी तकनीकों का विकास कर कई झीलों का कायाकल्प किया है।

केवल सिंह पठानिया ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभिन्न विभागों द्वारा 2004-05 से अब तक समुद्र तल से 1,775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डल झील के पुनरुद्धार पर करीब 31 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि करोड़ों रुपये खर्च होने की भ्रामक खबरें प्रकाशित की जा रही हैं।

इसके साथ ही खजियार झील के कायाकल्प के लिए भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के स्थलों के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला