मनरेगा का नाम बदलने पर कांग्रेस में आक्रोश, शिमला में प्रदर्शन

 


शिमला, 22 दिसंबर (हि.स.)। मनरेगा के नाम में बदलाव को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने सोमवार को शिमला में केंद्र की एनडीए सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार ने कहा है कि कांग्रेस न तो महात्मा गांधी का नाम कुचलने देगी और न ही इतिहास से मिटने देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एक सोची-समझी साजिश के तहत महात्मा गांधी के नाम और गरीबों के अधिकारों पर हमला कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा।

शिमला में मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने और इस कानून को कथित रूप से कमजोर किए जाने के विरोध में आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए विनय कुमार ने कहा कि मनरेगा कांग्रेस की देन है। उन्होंने याद दिलाया कि यूपीए सरकार के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी की पहल पर यह कानून लाया गया था, ताकि गांव के गरीब, मजदूर और असहाय लोगों को उनके अपने क्षेत्र में रोजगार की कानूनी गारंटी मिल सके।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब यह कानून संसद में लाया गया था, तब इस पर 100 घंटे से अधिक चर्चा हुई थी और सभी दलों की सहमति से इसे पारित किया गया था। इसके उलट उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में, रातों-रात बदलाव कर इसे कमजोर कर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों और गरीबों से जुड़े कई अहम कानून आज भी लंबित पड़े हैं, लेकिन मनरेगा जैसे कानून में बिना व्यापक चर्चा के बदलाव कर दिए गए।

विनय कुमार ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान और गरीबों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस इसके खिलाफ देश और प्रदेश भर में जनजागरण अभियान चलाएगी और आम लोगों को इस फैसले के असर के बारे में बताएगी।

इससे पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और प्रदेश मामलों के सह-प्रभारी विदित चौधरी ने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने एक ओर महात्मा गांधी का अपमान किया है और दूसरी ओर मनरेगा से जुड़े कामगारों के रोजगार और रोजी-रोटी पर असर डाला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश को सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार और काम का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून दिए, जबकि मौजूदा सरकार इन्हें कमजोर कर रही है।

विदित चौधरी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करें और मनरेगा तथा नए कानूनों के बीच अंतर को साफ तौर पर जनता के सामने रखें।

धरना-प्रदर्शन को ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नया कानून पंचायतों के अधिकार क्षेत्र पर सीधा हमला है। उनके अनुसार अब यह तय करने का अधिकार केंद्र के पास होगा कि कौन सा काम कहां होगा, जिससे स्थानीय स्वशासन कमजोर होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश सरकार इस नए कानून का विरोध करती है।

शिमला शहर के विधायक हरीश जनारथा और शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार किसान और गरीब विरोधी है और अब इसका असली चेहरा जनता के सामने आ चुका है।

इस बीच कांग्रेस ने अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार ने बताया कि मनरेगा का नाम बदलने और इसे कमजोर करने के विरोध में 29 दिसम्बर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने अनशन किया जाएगा। इस अनशन में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू, मंत्रिमंडल के सभी सदस्य, कांग्रेस विधायक, पूर्व सांसद और विधायक, पार्टी पदाधिकारी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा