पानीपत में यौन उत्पीड़न के 32 प्रतिशत मामले झूठे

 

पानीपत, 5 नवंबर (हि.स.)। पानीपत में 10 महीनों मे महिलाओं द्वारा कराए गए नाबालिगों से रेप, पॉक्सो और छेड़छाड़ जैसे गंभीर अपराधों के 270 मामले दर्ज किए गए। इनमें 85 मामले पूरी तरह फर्जी निकले। पुलिस ने गहनता से जांच करने के बाद इस केसों पर फाइनल रिपोर्ट लगाकर बंद कर दिया। पुलिस अधिकारियों के दावों के मुताबिक इन 85 मामलों में ज्यादातर शिकायतें आपसी विवाद या बदला लेने की भावना से कराई गई थी।

जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एएसआई रुपेश कुमार ने बताया कि जिले में कुल 16 पुलिस थाने हैं। इन सभी थानों के आंकड़ों के मुताबिक, यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों में कई बार सच्चाई सामने आने में महीनों लग जाते हैं। अब तक की जांच में लगभग 35 प्रतिशत से अधिक मामले निपटा दिए गए हैं, जबकि बाकी मामलों की जांच जारी है। पुलिस जांच में पाया गया कि कई मामलों में शिकायतें बदला लेने या दूसरे पक्ष को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए दर्ज कराई गई थीं। कुछ शिकायतकर्ताओं ने प्रेम संबंध टूटने या विवाद बढ़ने के बाद आरोपित को फंसाने की नीयत से गंभीर धाराओं में केस करवाए। पुलिस ने बताया कि कई बार आपसी रंजिश या संपत्ति विवाद में दूसरे को फंसाने के लिए भी रेप या छेड़छाड़ के झूठे आरोप लगाए जाते हैं ताकि पुलिस और समाज का दबाव बनाकर व्यक्तिगत मकसद पूरा किया जा सके। कुछ मामले ऐसे भी पाए गए जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिलाओं ने रिश्ता बिगड़ने के बाद युवक पर रेप का केस दर्ज करा दिया। जांच में स्पष्ट हुआ कि दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे और जब संबंधों में खटास पैदा हुई तो मामला पुलिस तक पहुंच गया। इसके बाद महिला ने युवक के खिलाफ यौन उत्पादन का मामला दर्ज करा दिया। पुलिस ने बताया एक अन्य चौंकाने वाला मामला तब सामने आया, जब एक महिला ने एक ही युवक पर दो बार रेप का केस दर्ज कराया। पहली शिकायत में मामला निपटने के बाद उसने दोबारा उसी युवक पर नया केस दर्ज कराया। जांच में यह शिकायत भी झूठी पाई गई और उसे निरस्त कर दिया गया।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे फर्जी मामलों से वास्तविक पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसलिए हर शिकायत की गहन जांच की जा रही है ताकि असली पीड़ितों को न्याय और झूठे आरोप लगाने वालों को सबक, दोनों को सही न्याय मिल सकें।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा