झज्जर: मेहनतकशों को रही वोट से ज्यादा पेट की चिंता
-मतदान की चिंता छोड़ काम की तलाश में चिंतित रहे सैकड़ों श्रमिक
झज्जर, 25 मई (हि.स.)। एक तरफ तो बहादुरगढ़ का सबसे व्यस्त बाजार रेलवे रोड। तपा देने वाली भीषण गर्मी। चुनाव की वजह से सभी दुकानें बंद। इस बाजार में बने कई मतदान केंद्रों के बाहर लगी मतदाताओं व उम्मीदवारों के कार्यकर्ताओं की रौनक। दूसरी ओर अंदर तक झकझोर देने वाला सेंकड़ों मेहनतकशों का समूह। सभी के चेहरों पर छलक रही काम न मिलने की चिंता।
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के दिन बहादुरगढ़ में रेलवे रोड पर पांच मतदान केंद्र बने थे। इन सभी बूथों के बाहर मतदाताओं और उम्मीदवारों के कार्यकर्ताकर्ताओं की रौनक लगी थी। शहर का सबसे व्यस्त बाजार भी बंद था, लेकिन निकट ही लेबर चौक में काम मिलने की इंतजार में खड़े सेंकड़ों श्रमिक लोकतंत्र के इस महापर्व से बेखबर नजर आए। हमने श्रमिक अनिल, किशोर, रणजीत व कृष्ण से बातचीत की। सभी ने कि उन्हें तो अपने पेट की चिंता पहले है। कुछ काम करेंगे तो खाएंगे। उन्हें तो काम करके ही अपना पेट भरना पड़ता है।
एक अन्य श्रमिक ग्यासी लाल ने बताया कि चुनाव के दिन फैक्ट्रियों में उत्पादन कार्य बंद होने के कारण उन्हेें काम नहीं मिल सका। जिससे अधिकतर श्रमिकों में मायूसी छाई हुई है। गेहूं की आवक लगभग बंद हो गई है, इसलिए अब अनाज मंडी में भी काम नहीं है। इस प्रकार चुनाव वाले दिन सैंकड़ों मजदूर काम की तलाश में सडक़ से गुजरने वाले लोगों का मुंह ताकते रहे। कई श्रमिकों का कहना था कि उन्होंने पिछले कई चुनाव में भी वोट नहीं डाले। क्योंकि आज तक किसी भी सरकार ने उनके लिए कुछ विशेष नहीं किया।
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उन्हें वोट के बारे में कुछ खास पता भी नहीं है। उन्हें तो केवल दूसरे प्रदेश में आने के बाद अपने परिवार के लिए रोजी रोटी की चिंता सताती है। महंगाई के इस जमाने में कमाते-कमाते गुजारा नहीं चलता। तब बगैर काम किए कैसे गुजारा होगा। श्रमिक अनिल ने बताया कि आज शनविार को चुनाव की वजह से छुट्टी और रविवार को वैसे ही साप्ताहिक अवकाश है। अब 11 बजे चुके हैं, आज की दिहाड़ी तो गई। कल का भी पता नहीं कि काम मिलेगा या नहीं।
हिन्दुस्थान समाचार/शील/संजीव