हिसार: प्रकृति के अनुकूल होनी चाहिए विज्ञान व तकनीक की दिशा: राजेन्द्र राणा
वर्तमान में पर्यावरण संबंधी चुनौतियां गुरु जंभेश्वर महाराज के समय से भी ज्यादा
खाद्य, पर्यावरण व बायो तकनीकी के क्षेत्र में सांझे शोध व अनुसंधान करने होंगे : प्रो. नरसी राम
हिसार, 21 फरवरी (हि.स.)। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह राणा ने कहा है कि विज्ञान और तकनीक की दिशा प्रकृति के अनुकूल होनी चाहिए। प्रकृति से प्रेम होगा तो ही विज्ञान और तकनीक संवेदनशील होंगी। साइंस में केवल ‘इक्वेशन’ और ‘कैल्कुलेशन’ ना हो, उसमें ‘सैंस’ भी हो। वे बुधवार को गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में सतत विकास के लिए पर्यावरण, खाद्य एवं जैव प्रौद्योगिकी में वैश्विक चुनौतियां (आईसीईएफबी24)’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की।
मुख्य अतिथि राजेन्द्र राणा ने गुरु जम्भेश्वर जी महाराज को याद करते हुए अपना संबोधन शुरु किया तथा कहा कि वर्तमान सदी में पर्यावरण संबंधी चुनौतियां गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के समय से भी अधिक हैं। भारत की वैदिक संस्कृति प्रकृति अनुकूल तथा विज्ञान आधारित थी। प्रकृति अनुकूल सतत विकास तथा अहिंसावादी थी। उन्होंने कहा कि प्रकृति के समक्ष वैश्विक चुनौतियों का स्थानीय स्तर पर ही समाधान संभव है। हमें केवल शिक्षा की ही नहीं, विद्या की जरूरत है।
राजेन्द्र राणा ने कहा कि इस वक्त दुनिया में 12 युद्ध चल रहे हैं। अधिकतर के पीछे पानी मुख्य कारण है। तीसरा विश्व युद्ध भी पानी के लिए ही होगा। भारत भी प्राकृतिक असंतुलन को खतरनाक रूप से झेल रहा है। भारत का इस समय 72 प्रतिशत क्षेत्र किसी न किसी रूप में पानी की कमी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का जितना उपभोग करें, उतना ही उनका संवर्धन भी करें। पानी को संरक्षित कर उसे वापिस धरती को सौंपें। इससे धरती का ताप कम होगा। धरती पर हरियाली होगी। जीवन खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि पानी ही जलवायु है और जलवायु ही पानी है, इसलिए अपनी नदियों को जलवाहिनी बनाएं।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि 1947 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करना है तो खाद्य, पर्यावरण तथा बायो तकनीकी के क्षेत्र में सांझे शोध व अनुसंधान करने होंगे। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन इसी दिशा में विश्वविद्यालय का एक प्रयास है। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर, प्रो. आशा गुप्ता, मुनीष गुप्ता ने भी विचार रखे। इस अवसर पर सम्मेलन से संबंधित विवरणिका तथा डा. राजेन्द्र सिंह तथा डा. इंदिरा खुराना द्वारा लिखित एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव