जींद : वामपंथियों ने फूंकी वीबी जीराम जी कानून की प्रतियां

 


जींद, 22 दिसंबर (हि.स.)। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा थोपे गए विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम 2025 (वीबी जीराम जी) को तत्काल रद्द करने की मांग को लेकर सोमवार को वामपंथी पार्टियों ने शहर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस कानून की प्रतियां जला कर अपना आक्रोश व्यक्त किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग की कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को मजबूत बनााय जाए।

सीपीआईएम व सीपीआई के आह्वान पर कार्यकर्ता पुराने बस अड्डे पर एकत्रित हुए और बैठक की। वरिष्ठ नेता प्रकाश चंद्र, सीपीआई के सतपाल सरोहा ने सभा को संबोधित करते हुए इस कानून को ग्रामीण मेहनतकशों पर सबसे बड़ा हमला करार दिया। यह तथाकथित वीबी जीरामजी कानून जिसे विपक्ष जी राम जी बिल कह रहा है, मनरेगा पर बुलडोजर चलाने का काम कर रहा है। यह 2005 के ऐतिहासिक मनरेगा को पूरी तरह निरस्त कर उसकी जगह ले रहा है। लोकसभा और राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच इसे जबरन पारित करवाया गया और राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करा कर कानूनी जामा पहनाया गया। यह कानून मनरेगा के मूल अधिकार आधारित स्वरूप को पूरी तरह नष्ट कर देगा।

जिला सचिव कपूर सिंह व सीपीआई के सचिव मनी राम ने कहा कि यह कानून काले कृषि कानूनों की तरह ही खतरनाक है। यह ग्रामीण मजदूरों के अधिकार छीन कर उन्हें कॉर्पोरेट और जमींदारों के रहम पर छोड़ देगा। मनरेगा जैसा अधिकार आधारित ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून पूरी दुनिया में कहीं और नही था। यह भारत की मेहनतकश जनता की ऐतिहासिक जीत था। जिसे अब यह सरकार खत्म कर रही है। दावा तो 100 से 125 दिन बढ़ाने का है लेकिन जॉब कार्ड नेशनलाइजेशन से लाखों परिवार बाहर हो जाएंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा