हिसार: सरसों की उन्नत किस्मों को लेकर जीजेयू ने किया चार कंपनियों से करार

 


एचएयू की उन्नत सरसों की आरएच 1424 व आरएच 1706 किस्मों से हरियाणा व अन्य प्रदेशों के किसानों को मिलेगा फायदा

हिसार, 1 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। इसके लिए विश्वविद्यालय ने नेशनल क्रॉप साइंस, बीकानेर (राजस्थान), माई किसान एग्रो निमच (मध्यप्रदेश), फेम सिड्स (इंडिया) व उत्तम सिड्स हिसार के साथ तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध किसानों तक नहीं पहुंचेगा तब तक उसका कोई लाभ नहीं है। इसलिए इस तरह के समझौतों से विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां विकसित उन्नत फसल किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सकें। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की किस्म आरएच 1424 समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए उपयुक्त है, जबकि आरएच 1706 एक मूल्य वर्धित किस्म है।

कुलपति प्रो. कम्बोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने हस्ताक्षर किए। राजस्थान स्थित बीकानेर की नेशनल क्रॉप साइंस सरसों की किस्म आरएच 1424 के लिए समझौता ज्ञापन पर कंपनी की तरफ से राजेश पूनिया ने हस्ताक्षर किए है। मध्यप्रदेश स्थित निमच की माई किसान एग्रो के साथ सरसों की किस्म आरएच 1706 के लिए समझौता ज्ञापन पर कंपनी की ओर से सीईओ जसवंत सिंह ने हस्ताक्षर किए है। हिसार की दो कपंनियां, जिनमें फेम सिड्स (इंडिया) के साथ सरसों की किस्मों आरएच 1706 व आरएच 1424 के लिए समझौता ज्ञापन पर कंपनी की तरफ से हिमांशु बंसल ने हस्ताक्षर किए है। दूसरी कंपनी उत्तम सिड्स के साथ सरसों की किस्मों आरएच 1706 व आरएच 1424 के लिए समझौता ज्ञापन पर कंपनी की तरफ से शुभम ने हस्ताक्षर किए है।

यह है सरसों की किस्मों की विशेषताएं

बारानी परीक्षणों में नव विकसित किस्म आरएच 1424 में लोकप्रिय किस्म आरएच 725 की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत बीज उपज दर्ज की गई है। यह किस्म 139 दिनों में पक जाती है और इसके बीजों में तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत होती है। सरसों की दूसरी किस्म आरएच 1706 में 2.0 प्रतिशत से कम इरूसिक एसिड होने के साथ इसके तेल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है जिसका उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को लाभ होगा। यह किस्म पकने में 140 दिन का समय लेती है और इसकी औसत बीज उपज 27 क्विंटल हेक्टेयर है। इसके बीजों में 38 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव