अपने शोध को मार्केटेबल प्रोडक्ट के रूप में विकसित करके पेटेंट करवाएं शिक्षक :बिश्नोई

 


गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय को ‘एडमिसेलर पॉलीमराइजेशन प्रक्रिया का उपयोग करके फ्लेम रिटार्डेंट कॉटन फैब्रिक’ शीर्षक पर मिला पेटेंट

हिसार, 25 जुलाई (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को ‘एडमिसेलर पॉलीमराइजेशन प्रक्रिया का उपयोग करके फ्लेम रिटार्डेंट कॉटन फैब्रिक’ शीर्षक पर एक पेटेंट मिला है। रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. जेबी दहिया व डा. शुभा इस पेटेंट के आविष्कारक हैं। प्रो.जेबी दहिया व प्रो. अश्वनी कुमार ने गुरुवार को पेटेंट प्रमाण पत्र की कॉपी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को प्रस्तुत की।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस पेटेंट को विश्वविद्यालय के लिए एक उपलब्धि बताया तथा कहा कि इससे अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे अपने शोध को मार्केटेबल प्रोडक्ट के रूप में विकसित करें तथा उसका पेटेंट करवाएं। इससे समाज व राष्ट्र को फायदा होगा तथा विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ेगा। कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने भी प्रो. जेबी दहिया व डा. शुभा को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

प्रो. जेबी दहिया ने बताया कि वर्तमान आविष्कार फ्लेम रिटार्डेंट कॉटन फैब्रिक तैयार करने की एक प्रक्रिया से संबंधित है, जिसमें एडमिसेलर पॉलीमराइजेशन द्वारा कॉटन फैब्रिक सब्सट्रेट को फॉस्फोरस युक्त मोनोमर के साथ कोटिंग करना शामिल है। इसमें फ्लेम रिटार्डेंट संरचना में फॉस्फोरस युक्त मोनोमर, सर्फेक्टेंट और बाइंडिंग एजेंट शामिल हैं। यह प्रक्रिया पिछले तरीकों की कमियों को दूर करती है-कपड़े में सिंथेटिक सामग्री की मात्रा की परवाह किए बिना-एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करती है। इसके द्वारा एक या अधिक फ्लेम रिटार्डेंट रसायनों को लक्षित टेक्सटाइल सब्सट्रेट पर तय किया जा सकता है।

नतीजतन, कपड़े एक टिकाऊ फिनिशिंग प्रदर्शित करते हैं और बड़ी मात्रा में सिंथेटिक फाइबर को फ्लेम रेजिस्टेंस के नुकसान के बिना कपड़ों में सफलतापूर्वक शामिल किया जा सकता है। सिंथेटिक फाइबर की ये बड़ी मात्रा उपचारित कपड़ों की स्थायित्व और फाड़ने की ताकत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। कम सिंथेटिक सामग्री वाले कपड़ों में भी, वर्तमान प्रक्रिया आर्थिक रूप से लाभप्रद तरीके से अग्निरोधी गुण प्रदान करती है, जबकि पहले इस्तेमाल की जाने वाली अमोनियाकरण प्रक्रिया से जुड़ी कमियों को दूर करती है। पेटेंट सेल के समन्वयक प्रो. अश्विनी कुमार ने बताया कि यह आविष्कार सैन्य, विद्युत, पेट्रोलियम, रासायनिक विनिर्माण और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षेत्रों सहित विभिन्न उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर / संजीव शर्मा