हिसार: संजीवनी ध्यान आत्मा के संग संयोजन का सफल पथ : आचार्या मां साक्षी
हिसार, 28 जनवरी (हि.स.)। ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में रविवार को ओशोधारा मैत्री संघ कौशिक नगर स्थित साधना केन्द्र में संडे ध्यान में आचार्या मां साक्षी ने संजीवनी ध्यान करवाया। उन्होंने बताया कि संजीवनी ध्यान का अर्थ होता है जीवन का समर्थन या जीवन की ऊर्जा का संग्रह और यह एक प्रमुख ध्यान पद्धति है, जो साधकों को मानसिक शांति, आत्मा का समर्थन, और आध्यात्मिक उन्नति की की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
इस ध्यान पद्धति का उद्दीपन मुख्य रूप से भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से हुआ है और यह ध्यान साधने वाले को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का उत्कृष्ट अनुभव करने का उद्देश्य रखता है। यह ध्यान विभिन्न आसन, प्राणायाम, मुद्राएं और मन को नियंत्रित करने के तकनीकों का समाहित मिश्रण है। साधक इस ध्यान के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करता है और आत्मा के साथ संयोजन प्राप्त करता है। इस ध्यान पद्धति में मुद्राएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मुद्राएं हाथ, आंख, और शरीर के विशिष्ट स्थानों की विशेष आसनों को कहा जाता है, जो मानव शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। संजीवनी ध्यान का प्रशिक्षण ध्यान गुरुओं द्वारा दिया जाता है जो अपने शिष्यों को ध्यान की शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
ध्यान के बाद ओशोधारा के ध्यान के प्रमुख आचार्य जितेंद्र ने हमारे जीवन में ध्यान के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए ओशोधारा के कार्यक्रमों के बारें चर्चा की। उन्होंने बताया कि ध्यान से व्यक्ति का स्वाभिमान जगता है और अभिमान कम होता है तथा जीवन बनाने के उद्देश्य से हर घर ध्यान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए ओशोधारा हर सप्ताह पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर ध्यान योग के तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करता है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव