हिसार : स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम की काव्य गोष्ठी आयोजित
राष्ट्रीय कवि संगम की काव्य गोष्ठी में काव्य रचनाओं से जगाई देशभक्ति की अलख
हिसार, 12 अगस्त (हि.स.)। स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम की हिसार इकाई के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता भाजपा जिला उपाध्यक्ष तरुण जैन ने की। इस दौरान तरुण जैन ने कहा कि हम सभी को स्वतंत्रता का महत्व समझना चाहिए और देशहित के कार्यों में सक्रियता दिखानी चाहिए।
सोमवार को आयोजित काव्य गोष्ठी के दौरान भिवानी से पहुंचे राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय महामंत्री विकास यशकीर्ति मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। हिसार इकाई के संरक्षक तिलक जैन, मार्गदर्शक डॉ. चंद्रशेखर व नीरज कुमार मनचंदा को हिसार इकाई का अध्यक्ष मनोनीत किया गया। इसके साथ ही स्वतंत्रता दिवस पर पूनम मनचंदा ने मां शारदे का वंदन करते हुए काव्य गोष्ठी का आगज किया। डॉ. चंद्रशेखर ने बखूबी मंच संचालन किया। कवि डॉ. माहिया समीर ने अपनी रचना जब रण में घोड़े आये होंगे, गुबार धूल के उठाए होंगे, रथों के चलने की आवाजें, शस्त्र मचलने की आवाजें सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
कवि दीपक प्रताप ने मधुर आवाज में अपना गीत सन्नाटों में चिल्लाता है, मौन कहां चुप रह पाता है प्रस्तुत कर समां बांध दिया। डॉ. मीनाक्षी प्रसाद ने वतन के हर गली कूचे को हम खुशियों से भर देंगे, चमन के गोशे गोशे को गुलो गुलज़ार कर देंगे रचना सुना सभी की तालियां बंटोरी। वरिष्ठ कवयित्री अनिता जैन ने महकता हुआ ये चमन चाहता हूं, वतन के लिए मैं अमन चाहता हूं, नहीं दुश्मनों का मुझे खौफ कोई, बदन पर तिरंगा कफन चाहता हूं सुनाकर सभी का मन मोह लिया। कवयित्री पूनम मनचंदा ने शान व मान से मेरा तिरंगा फर फर फर फहराए, ऐसी कीर्ति फैले जग में हर कोई स्तब्ध रह जाए सुनाकर समां बांध दिया।
डॉ. मीरा सिवाच ने मां जल्दी उठकर रोटी बना दे आज सरहद पार जाना है सुना सैनिक बेटे की राष्ट्रप्रेम की पराकाष्ठा का चित्रण किया। कवि तिलक जैन ने अपनी छंदबद्ध रचना देश की न सोचते बहुत बड़ा कमाल है, देश जाति में बंटा यही बड़ा मलाल है के माध्यम से सभी का दिल जीत लिया। भिवानी से पहुंचे विनोद आचार्य ने अपनी रचना जिन्दगी की जुल्फ संवार देना चाहता हूं, मौत को भी प्यार का उपहार देना चाहता हूं सुना सभी की सराहना पाई। भिवानी से पधारे डॉ. मनोज भारत ने शब्द सभी चुपचाप हैं, चिल्लाते हैं मौन। भाव भंग हैं अर्थ से, सुने सत्य की कौन।। सरीखे दोहों से समां बांधा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर / संजीव शर्मा