रोहतक: देश की एकता, अखंडता के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया बलिदान: रामचंद्र जांगडा

 


राज्यसभा सांसद बोले, जवाहर लाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला के दबाव में जम्मू कश्मीर में दो विधान, दो निशान, दो संविधा को दी थी मान्यता

रोहतक, 6 जुलाई (हि.स.)। भाजपा मंगल कमल कार्यालय में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगडा सहित भाजपा पदाधिकारियों ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। सांसद जांगडा ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार और कार्यों ने देश को राष्ट्रीय एकता और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार हमें सदैव देश प्रेम और समर्पण की दिशा में प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन छह जुलाई 1901 को कलकत्ता में आशुतोष मुखर्जी के घर विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। 33 वर्ष की उम्र में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। फिर एक समय आया जब वो सांसद, मंत्री बने। जांगडा ने कहा कि पंडित नेहरू ने शेख अब्दुल्ला के दबाव में आकर कश्मीर के अंदर अलग विधान की मान्यता दे दी और धारा-370 तथा 35ए को मान लिया गया। भारतीय संविधान से अलग संवैधानिक शक्ति, कश्मीर में प्रधानमंत्री का पद शेख अब्दुल्ला को दे दिया गया। नेहरू के निर्णयों के विरोध स्वरूप डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सरकार से त्याग पत्र दे दिया और देश को दो प्रधान, दो निशान, दो विधान नहीं चलेगा का नारा दिया।

इसके बाद श्री मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। जम्मू कश्मीर घाटी में परमिट व्यवस्था को तोडऩे लिए श्यामा मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया और 30 जून 1953 में उनकी संदिग्ध मौत हो गई। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वह डा. मुखर्जी के जीवन प्रेरणा लेते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चले। इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष रणवीर ढाका, प्रदेश मीडिया सह- प्रभारी शमशेर सिंह खरक, प्रदेश सचिव रेनू डाबला, पूर्व उप महापौर राजकमल, महंत सतीश दास, वीर सिंह हुड्डा, तरुण सनी शर्मा, धर्मेंद्र सैनी, सतबीर भराण, अमित बंसल, प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल/संजीव