हिसार: जीवन के उत्कर्ष के लिए सत्संग परम आवश्यक: स्वामी सत्यानंद महाराज

 


अनंत श्री विभूषित स्वामी श्री सत्यानंद महाराज ने दिए प्रवचन

हिसार, 11 दिसंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय सोहम महामंडल शाखा हिसार के तत्वावधान में प्रारंभ हुए पंच दिवसीय संत सम्मेलन का सोमवार को शुुभारंभ हुआ। पहले दिन महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज के कृपा पात्र सोहं पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानन्द महाराज ने कहा कि जीवनोत्कर्ष के लिए सत्संग परमावश्यक है। उन्होंने कहा कि सत्संग के माध्यम से जीवन जीने का सलीका प्राप्त होता है। अनेक समस्याओं का सामना करने की समझ आती है।

सत्संग के माध्यम से ही जीवन का लक्ष्य, मूल्य, उद्देश्य समझ में आता है। सत्संग से जीवन की गलतियों में सुधार किया जा सकता है। इसी माध्यम से हमें अपनी संस्कृति व धर्म कर्म आदि के विषय में जानकारी हो पाती है। अच्छे व बुरे का बोध हो पाता है। वैराग्य, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग एवं ज्ञानयोग आदि के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। हमारे पावन इतिहास की जानकारी होती है। भगवान और भक्तों की चर्चाएं सुनकर हृदय पवित्र होता है।

स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में समाज में फैली हुई बुराइयों को दूर करने की महती आवश्यकता है। सुधार की कुंजी सत्संग ही है। संतसेवा, अतिथि सेवा, मातापिता की सेवा, बुजुर्गों की सेवा,अनाथ असहाय सेवा, गौसेवा आदि विषयों को सत्संग के माध्यम से ही बताया जा सकता है। ऐसे ही विषयों पर आने वाले दिनों में सत्संग के माध्यम से चर्चा होती रहेगी। रामायणी स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी प्रणवानंद, स्वामी नारायणानंद और अरुणस्वरूप ने भी सत्संगकी महिमा सुनाई।इस अवसर पर इन्द्रचंद राठी, रामकुमार रावलवासिया, राजिंद्र गर्ग, सज्जन कुमार गीता प्रेस, विकूल कुमार, राजेश सैनी सातरोडिय़ा, शिवकुमार गोयल, ईश्वर दास मंगाली वाले इत्यादि भक्तों ने संतों को माला पहनाकर सम्मानित किया और भगवान की आरती कराई।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव