आईएएस बनने के लिए शिव तांडव स्तोत्रम से ऊर्जा लेता था शिवांश
बहादुरगढ़ के शिवांश राठी ने यूपीएससी की परीक्षा में हासिल किया 63 वां रैंक, बना आईएएस
-खरहर गांव का रहने वाला शिवांश नित्य नियम करता है शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ
-शिवांश ने कहा- विकसित भारत का सपना पूरा करने में देना है योगदान
शील भारद्वाज
झज्जर, 16 अप्रैल। जिले के खरहर गांव के बेटे शिवांश ने एक बार फिर से कमाल कर दिया है। दूसरे प्रयास में एसडीएम बनने वाले शिवांश ने इस बार ऑल इंडिया में 63वां रैंक हासिल कर आईएएस बनने का अपना सपना पूरा कर लिया है। शिवांश बहादुरगढ़ के सेक्टर 6 में अपने माता पिता और बहन के साथ रहता है। शिवांश ने 9 साल की उम्र से ही आई ए एस बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। शिवांश हर रोज 10 घंटे तक पढ़ाई करता था।
पढ़ाई से जब थक जाता था तो व्यायाम के साथ शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ किया करता। शिवांश ने बताया कि शिव तांडव स्त्रोतम के पाठ से उसे ऊर्जा मिलती है। सही दिशा में लग्न से मेहनत करने से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आईएएस बनकर वो विकसित भारत के सपने को पूरा करने में अपना योगदान देना चाहता है। शिवांश ने अपनी पढ़ाई शहर के सेंट थॉमस स्कूल से की है। शिवांश ने 12वीं में स्कूल टॉप किया और स्नातक में कॉलेज टॉप किया है।
शिवांश ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से बीए अंग्रेजी ऑनर्स की पढ़ाई की। स्नातक की पढ़ाई के दौरान शिवांश सभी 6 सेमेस्टर में कॉलेज टॉप कर चुके हैं। शिवांश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पूरे परिवार को दिया है। उन्होंने बताया कि उनके दादा कंवल सिंह राठी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं और उन्हें हमेशा देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहे हैं। शिवांश केे ताऊ विरेन्द्र राठी भी आईआरएस रहे हैं और चाचा जितेन्द्र एमडीयू में प्रोफेसर हैं। दादा, ताऊ, चाचा और माता-पिता के मोटिवेशन के साथ मामा की तरह आईएएस बनने का सपना शिवांश ने संजोया था। शिवांश के मामा वरिन्द्र कुमार पंजाब कैडर में आईएएस हैं।
शिवांश के पिता रविन्द्र राठी भी सिविल सर्विस में जाना चाहते थे। हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर ली थी लेकिन राजनीतिक चक्करों के चलते वो भर्ती पूरी नही हो पाई। शिवांश की माता डॉ सुदेश राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्रौफेसर हैं। माता पिता अपने बेटे की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि जब भी शिवांश मायूस होता था तो वो उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने कहा कि शिवांश ने अपने बचपन का सपना पूरा किया है और उन्हे यकीन है कि देश के विकास में शिवांश का अहम योगदान रहेगा।
शिवांश भक्तिभाव से परिर्पूण रहता है। यूपीएससी का परिणाम आने से पहले भी वो मंदिर में बैठकर पूजा कर रहा था। शिवांश सैक्टर 6 के जिस घर में रहता है उसका नाम शिवालय है और छोटी बहन का नाम शिवांगी है। शिवांश की छोटी बहन भी यूपीएससी की तैयारी कर रही है । शिवांश ने बताया कि वह अपनी छोटी बहन शिवांगी के साथ मिलकर यूपीएससी की तैयारी करता था। उसने कोई कोचिंग नहीं ली है। केवल सेल्फ स्टडी पर ही फोकस किया शिवांश का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहले फोकस करना जरूरी है। अगर एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर सेल्फ स्टडी भी करते हैं तो सफलता मिल ही जाती है। शिवांश की उपलब्धि पर न केवल उनका परिवार खुश है बल्कि गांव, शहर और पारिवारिक मित्र भी बेहद खुश है। डीएस आर्य स्कूल के संचालक इंन्द्र राठी, खरहर गांव के पूर्व सरपंच बिजेन्द्र समाजसेवी नरेश भारद्वाज और पूर्व पार्षद वजीर सिंह राठी ने भी घर पहुंचकर शिवांश को बधाई दी है।
हिन्दुस्थान समाचार