गीता केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का गौरव : स्वामी ज्ञानानंद

 


जींद, 4 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रीय कीर्ति आह्वान समिति, श्री कृष्ण कृपा परिवार व जीओ गीता परिवार के संयुक्त तत्वावधान एवं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सदस्य एडवोकेट विजयपाल सिंह के संयोजन में नगर की नई अनाज मंडी में आयोजित दिव्य गीता सत्संग कार्यक्रम में बतौर अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचारक अविनाश जायसवाल व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के भाई माई राम बडौली ने रविवार को शिरकत की। इस अवसर पर महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज का विशेष सानिध्य प्राप्त हुआ।

अतिथियों ने गीता मनीषी का माल्यार्पण करके व दीप प्रज्ज्वलन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने अविनाश जायसवाल व माई राम बडौली को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्रद्धालुगण भजनों की धुन पर जमकर झूमे। अपने संबोधन में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता जी में 18 अध्याय व 700 श्लाेक विद्यमान हैं। गीता का प्रत्येक श्लाेक नि:स्वार्थ, प्रभू को समर्पित व अहंकार रहित कर्म करने की प्रेरणा प्रदान करता है। गीता केवल किसी एक धर्म विशेष की आस्था का ग्रंथ ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण का ग्रच्च्ंथ है। गीता जी में कहीं भी संकीर्णता व मत-मतांतर की बात नहीं कही गई है।

गीता में सभी प्राणियों के हित की बात कही गई है। सही मानो तो गीता प्रेम, सद्भावना व सामाजिक समरसता की एक बुनियाद स्थापित करने वाला ग्रंथ है। गीता उपदेश 5160 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में कौरवों व पांडवों के बीच चले युद्ध में च्च्युद्धभूमि पर दिया गया। गीता केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का गौरव है और पूरी दुनिया के लोग गीता जी को आत्मसात करते हैं। भागवत गीता जी शांति का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। हर कोई मानसिक व सामाजिक शांति चाहता है और मनुष्य को ये दोनों चीजें गीता जी ही प्रदान कर सकती हैं। गीता के उपदेशों को अंगीकार करके ही शांति व सद्भाव स्थापित किया जा सकता है। गीता मनीषी ने च्च्कहा कि गीता में ज्ञान का अथाह सागर है, जो हमें जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। गीता हमारे देश की धरोहर है और संस्कृति है। गीता का ज्ञान घर-घर और प्रत्येक इंसान तक पहुंचना जरूरी है।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा / संजीव शर्मा