हिसार : राखी गढ़ी में तीन नंबर टीले पर था वीआईपी लोगों का बसेरा, मिले प्रमाण

 




खुदाई के दौरान उन्नत नगरीय सभ्यता की लगी मोहर

आवासीय सुरक्षा के लिए किलेनुमा चार मीटर चौड़ी मिली दीवार

हिसार, 29 अप्रैल (हि.स.)। जिले के ऐतिहासिक स्थल राखी गढ़ी में हो रही खुदाई के दौरान अनेक चौकाने वाले रहस्य सामने आ रहे हैं। टीले नंबर तीन पर खुदाई के दौरान अलग-अलग कच्ची ईंटों के मकान मिल चुके हैं।

ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि टीला नंबर तीन उस सभ्यता के वीआईपी लोगों का आवासीय परिसर रहा होगा। पहली बार टीले के बाहरी तरफ करीब चार मीटर चौड़ी कच्ची ईंटों की दीवार मिली है। यह दीवार वहां पर रह रहे लोगों की सुरक्षा के लिए बनाई गई होगी ताकि कोई बाहरी लोग यहां पर प्रवेश ना कर सके। अभी तक इस दीवार की ऊपरी सतह की खुदाई का काम शुरू है। यह दीवार कितनी गहरी और लंबी है, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा और यह दीवार कितनी पुरानी है, इसकी कार्बन डेटिंग करवाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है।

टीला नंबर तीन पर इस बात की मुहर लग गई है कि यह टीला उस समय के वीआईपी लोगों के रहने का आवासीय क्षेत्र होता था। हाल ही में टीले के बाहरी तरफ पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने खुदाई करने की योजना बनाई तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। जैसे ही ट्रेंच बनाकर खुदाई शुरू की गई तो कच्ची ईंटों की एक दीवार मिली। जब खुदाई को और आगे बढ़ाया गया तो यह दीवार करीब चार मीटर चौड़ी पाई गई। यह कितनी ऊंची और गहरी है, इस पर अभी काम करना बाकी है। किलेनुमा चौड़ी दीवार उन लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाई होगी। इस दीवार पर प्रयोग की गई कच्ची ईंटें घरों में लगी ईंटों से बड़े साइज की हैं।

पिछले वर्ष मिले थे कच्ची ईंटों के आवास

पिछले वर्ष खुदाई के दौरान इस टीलें पर कच्ची ईंटों के आवास मिले थे। कुछ ही दूरी पर पक्की ईटों की दीवार के साथ एक मकान व ड्रेनेज ड्रेनेज सिस्टम के लिए पक्की नालियां मिली थी। अलग-अलग सीजन की खुदाई के दौरान इस टीले पर मकान मिलने का सिलसिला जारी है। अब इस बात पर मोहर लग गई की यह टीला उस समय का वीआईपी कल्चर के लोगों का आवासीय परिसर रहा होगा क्योंकि इस टीले पर सभी सुविधा युक्त साधन मिल चुके हैं। मकान के पास ही पीने के पानी का कुआं भी मिला है। कुएं से पानी भी ड्रेनेज सिस्टम के तहत मकान में भेजने की सुविधा भी उन लोगों ने की हुई थी।

1997-98 में हुई थी पहली बार खुदाई

आर्कियोलॉजी के डायरेक्टर अमरेंद्र नाथ की अगुवाई में पहली बार वित्त वर्ष 1997-98 में खुदाई की गई, दूसरी बार 2003 से 2006 तक डेक्कन यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में खोदाई की गई, तीसरी बार भी 2013 से 2016 तक प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतत्व में ही खोदाई की गई। अब चौथी बार वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के अपर महानिदेशक डॉ. संजय कुमार मंजुल के नेतृत्व में अब तक लगातार चल रही है।

चौड़ी दीवार सुरक्षा की प्रतीक : डॉ. संजय

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली के अपर महानिदेशक डॉ. संजय कुमार ने सोमवार को कहा कि टीला नंबर तीन आवासीय परिसर के रूप में उस सभ्यता के लोगों ने स्थापित किया हुआ था। यह चौड़ी दीवार मिलने से यह भी साबित हो गया कि वह लोग सुरक्षा के प्रति भी सजग रहते थे ताकि कोई भारी व्यक्ति उन पर हमला या लूट की घटना को अंजाम ना दे सके। यह सभ्यता उन्नत नगरीय सभ्यता थी।

हिन्दुुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव