हिसार :अनिका मलिक के शोध कार्य को भारत सरकार का कॉपीराइट
हरियाणा की डेयरी उत्पादन प्रणालियों की स्थिरता पर लुवास की बड़ी उपलब्धि
हिसार, 22 दिसंबर (हि.स.)। सतत डेयरी विकास को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण
पहल करते हुए यहां के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने
एक और उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धि अपने नाम की है। विश्वविद्यालय को भारत सरकार के
कॉपीराइट कार्यालय द्वारा वैज्ञानिक शोध कार्य ‘हरियाणा की डेयरी उत्पादन प्रणालियों
के लिए स्थिरता मूल्यांकन संकेतकों का विकास’ के लिए कॉपीराइट पंजीकरण प्रदान किया गया है, जो डेयरी क्षेत्र
में स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
यह अभिनव शोध कार्य लुवास की सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिका मलिक धुंधवाल द्वारा
अपने पीएचडी शोध के अंतर्गत सम्पन्न किया गया, जो डॉ. गौतम, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष,
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विस्तार शिक्षा विभाग, लुवास के कुशल मार्गदर्शन में पूर्ण
हुआ। इस शोध अध्ययन में हरियाणा की डेयरी उत्पादन प्रणालियों का पर्यावरणीय, आर्थिक
एवं सामाजिक दृष्टिकोण से वैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया है तथा इनके लिए उपयोगी एवं
व्यवहारिक स्थिरता संकेतकों का विकास किया गया है।
शोध के अंतर्गत विकसित किए गए ये स्थिरता मूल्यांकन संकेतक शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं,
विस्तार विशेषज्ञों, योजनाकारों तथा विकास एजेंसियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।
ये संकेतक साक्ष्य-आधारित योजना निर्माण में सहायक होने के साथ-साथ किसानों को सतत
डेयरी पालन पद्धतियों को अपनाने, संसाधनों के बेहतर उपयोग तथा उत्पादन प्रणाली को दीर्घकालिक
रूप से सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा ने साेमवार काे शोध टीम
को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि पशु चिकित्सा एवं पशुपालन के क्षेत्र में विश्वविद्यालय
के लिए गर्व का विषय है तथा यह लुवास की अनुसंधान उत्कृष्टता को राष्ट्रीय स्तर पर
पहचान दिलाती है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर