सोनीपत: भक्त, भक्ति और भगवान से है धर्म आराधना का संबंध: रमेश मुनि जी महाराज

 


सोनीपत, 17 अगस्त (हि.स.)। परम श्रद्धेय रमेश मुनि जी महाराज ने कहा कि श्री भक्तामर

जी की धर्म आराधना का संबंध भक्त, भक्ति और भगवान का संबंध है। सच्चे हृदय से जब भगवान

को पुकारने पर भक्त की भक्ति जीवंत होती है। मीराबाई की भक्ति सच्चे हृदय की पुकार

थी। महा सती चंदनबाला ने हृदय की गहराई से जब पुकार तो प्रभु महावीर खींचे चले आए।

ध्रुव ने विष्णु की भक्ति में बैठे तो साक्षात भगवान विष्णु प्रकट हो गए, यह सब निष्काम

भक्ति के प्रमाण हैं।

उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री सुभद्र मुनि जी महाराज का 74 वीं

जन्म जयंती पर शनिवार को श्री एस एस जैन सभा गन्नौर मंडी के तत्वाधान में एवं मुनि

मायाराम परंपरा के उज्जवल नक्षत्र श्री रमेश मुनि जी महाराज ठाणे 3 के सानिध्य में

चल रही धर्म आराधना की श्रृंखला में श्री भक्तामर जी का सामूहिक जाप का श्रद्धा भक्ति

पूर्ण संपन्न हुआ।

इस अवसर पर राष्ट्र संत मुकेश मुनि जी महाराज ने कहा श्री

भक्तामर जी की साधना समस्त दुखों से दूर करने वाली धर्म साधना है। स्वयं आचार्य श्रीमानतुंग

जी जो की जेल की कोठारियों में बंद थे वहां बैठे हुए आचार्य श्री मानतुंग ने तीर्थंकर

श्री ऋषभदेव के गुनों का स्मरण करते हुए श्री भक्तामर जी की रचना के माध्यम से भक्ति

में ऐसे खो गए की जेल में बंद ताले धागे की तरह टूटते हुए चले गए, यह सब भक्ति में

रही शक्ति का रूप है। युवा तपस्वी मुदित मुनि जी महाराज, सुमेर मुनि जी महाराज,

श्रेयांश मुनि जी महाराज ने गुरुवर की शिक्षाओं पर भक्ति गीत प्रस्तुत किए। भक्तामर

जी की साधना करने की प्रेरणा दी। प्रधान मुकेश जैन, आशीष जैन, कपिल जैन आदि और निकटवर्ती

क्षेत्रों से आए श्रावक शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना / SANJEEV SHARMA