हिसार : दो करोड़ की लागत से होगा रावतखेड़ा में गुरू जम्भेश्वर भगवान साथरी का पुनर्निर्माण

 


स्वामी रामानंद व स्वामी सच्चिदानंद की मौजूदगी में होगा जागरण व हवन

हिसार, 4 नवंबर (हि.स.)। बिश्नोई समाज में ऐसे अनेक धाम व साथरियां है जो गुरू जम्भेश्वर भगवान के चरणों की रज से पवित्र हुए है। इन साथरियों में हरियाणा के हिसार जिले में स्थित रावतखेड़ा साथरी अपना उल्लेखनीय स्थान रखती है। समाज में ऐसी मान्यता है कि समराथल धोरे से उत्तर प्रदेश की ओर भ्रमण पर जाते समय गुरू जम्भेश्वर भगवान ने इस स्थान पर रात्रि विश्राम और साधु संतों के साथ हवन यज्ञ किया था।

गांव रावतखेड़ा स्थित साथरी मंदिर के मेन गेट की दीवारों में दरार पड़ने की वजह से अब गांव की ओर से साथरी के पुनर्निर्माण का फैसला लिया गया है। इसके लिए रावतखेड़ा गांव से एक करोड़ से ज्यादा रुपए का दान आ चुका है वहीं अन्य गांवों के सहयोग को मिलाकर एकत्रित दो करोड़ की राशि और सब की राय से गांव रावतखेड़ा में स्थित जम्भेश्वर भगवान की साथरी का पुनर्निर्माण किया जाएगा। साथरी के पुनर्निर्माण के उपलक्ष्य में गांव की ओर से मुक्तिधाम मुकाम के पीठाधीश्वर रामानंद जी महाराज के पावन सानिध्य में मंदिर में 6 नवम्बर को जागरण और अगले दिन 7 नवंबर को सुबह हवन का कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें बिश्नोई समाज के युवा संत महंत स्वामी सच्चिदानंद आचार्य भी शिरकत करेंगे।

अविभाजित पंजाब के 84 गांवों में बिश्नोई आबादी मानी गई थी। उन सबकी मान्यता का मुक्तिधाम मुकाम के बाद दूसरा दर्जा रावतखेड़ा था। यहां मुकाम में सामाजिक फैसले जो किन्ही कारणों से अधूरे रह जाते थे, उनके तथा 84 गांवों की सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंथ संबंधी आदेश सुनाए जाते थे। इन्हें तब की भाषा में हेला-देणा कहा जाता था। रावतखेड़ा में सुनाए आदेश का समाज में पालन होता था। श्रद्धालु कार्य सिद्धि के लिए रावतखेड़ा साथरी धोक बोलते हैं और कार्य सिद्धि होने पर दूर-दूर से धोक लगाने आते हैं। शोधग्रंथो में रावतखेड़ा का सम्मान सहित उल्लेख आता है। यहां से मिली जाम्भाणी साहित्य की अनेक हस्तलिखित पांडुलिपियां वर्तमान में महासभा की संपति है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव