सेवानिवृत्ति के बाद चार साल पुराने मामले में चार्जशीट अवैध, हाईकोर्ट का फैसला

 

चंडीगढ़, 29 दिसंबर (हि.स.)। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त अधिकारी के खिलाफ चार साल से अधिक पुराने मामले में जारी की गई चार्जशीट को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि रोकी गई लीव इनकैशमेंट की राशि याचिकाकर्ता को 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित चार सप्ताह के भीतर अदा करे।

यह आदेश जज त्रिभुवन दहिया ने दिया है। याचिकाकर्ता धर्मवीर सिंह सांगवान हरियाणा सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत सरकारी पॉलिटेक्निक शिक्षा सोसायटी, सांघी (रोहतक) में प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे।

वरिष्ठ अधिवक्ता दिव्यांशु जैन एवं अर्जुन सांगवान ने वकालत की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 31 मार्च, 2023 को धर्मबीर सिंह सांगवान सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के लगभग दो महीने बाद 29 मई, 2023 को उनके खिलाफ एक चार्जशीट जारी की गई थी, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। चार्जशीट का संबंध वर्ष 2011 की एक घटना से था। उस समय अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए संचालित एक कोचिंग सेंटर के निरीक्षण को लेकर विभागीय निर्देश जारी हुए थे। याचिकाकर्ता द्वारा 25 मार्च, 2011 को भेजी गई निरीक्षण रिपोर्ट में कथित तौर पर छात्रों के नाम और पते उपस्थिति रजिस्टर से मेल नहीं खाते थे और छात्रों की पहचान स्थापित नहीं हो पा रही थी। इसी आधार पर यह आरोप लगाया गया कि निरीक्षण सही ढंग से नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि जिस घटना को आधार बनाकर चार्जशीट जारी की गई है, वह उनकी सेवानिवृत्ति से 12 साल से भी अधिक पुरानी है।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद साफ शब्दों में कहा कि विभागीय कार्यवाही की शुरुआत चार्जशीट जारी होने से मानी जाती है, न कि सतर्कता जांच शुरू होने से। यदि चार्जशीट सेवानिवृत्ति के बाद जारी की जाती है, तो वह केवल उन्हीं घटनाओं के संबंध में हो सकती है जो सेवानिवृत्ति से चार साल के भीतर की हों।

यहां मामला 2011 का है, जबकि सेवानिवृत्ति 2023 में हुई और चार्जशीट 2023 में दी गई, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर का पंजीकरण भी इस आधार पर सेवानिवृत्ति लाभ रोकने का कारण नहीं बन सकता, खासकर तब जब याचिकाकर्ता के खिलाफ न तो आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल हुई है और न ही किसी अदालत ने संज्ञान लिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा