यमुनानगर: निजी स्कूल किताबों व वर्दी के मनमाने दाम रहे है वसूल: महेन्द्र मित्तल

 


-अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में सौंपा ज्ञापन

-शिक्षकों का भी कर रहे है आर्थिक शोषण- महेन्द्र मित्तल

यमुनानगर, 4 अप्रैल (हि.स.)। निजी स्कूलों द्वारा किताबों और स्कूली वर्दी के नाम पर मनमानी लूट और शिक्षकों के आर्थिक शोषण के विरोध में गुरुवार को अभिभावक सेवा मंच के पदाधिकारियों ने उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र मित्तल के नेतृत्व में जिला उपायुक्त को भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्र मित्तल ने कहा कि पिछले दस वर्षों से निजी स्कूलों के प्रबन्धकों के द्वारा विद्यार्थियों को जबरन महंगी कीमतों पर निजी प्रकाशकों की किताबें व वर्दी निर्धारित दुकानों पर खरीदने को मजबूर कर जबरदस्त आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं। जिसको लेकर प्रदेश व जिला स्तर पर असंख्य प्रदर्शन भी किए गए। परन्तु राज्य सरकार निजी शिक्षा केन्द्रों को लूट का अड्डा बनने से नहीं रोक पा रही है।

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों में कितने अध्यापक नियमित हैं और कितनों को भविष्य निधि फंड मिल रहा है। स्कूलों के बाहर बोर्ड लगाकर इसकी जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से शिक्षकों से शिकायतें भी प्राप्त हो रहीं है कि उन्हें स्कूल के पक्के कागजों में जो वेतन मिल रहा है। हकीकत में उससे बहुत ही कम वेतन दिया जा रहा है। ऐसे में जो शिक्षक अभिभावक भी है, उन पर दोतरफा मार पड रही है। न वेतन पूरा मिलता है। ऊपर से फीस और महंगी किताबों का बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों ने फीस व महंगी किताबों के दाम कई गुणा बढ़ा दिए है। एनसीईआरटी की किताबें नहीं लगाते। जगाधरी के उप मंडल अधिकारी सोनू राम ने संबंधित विभागों को इस दिशा में जल्द सख्त कार्यवाही करने का निर्देश देने का वादा किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में अभिभावक शामिल रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/अवतार/संजीव