सोनीपत: पर्यूषण महापर्व आत्मा की शुद्धि, क्षमा, आत्मनिरीक्षण की प्रबलता:डॉ मणिभद्र
सोनीपत, 8 सितंबर (हि.स.)। महाराज नेपाल केसरी राष्ट्र संत मानव मिलन के संस्थापक
डॉ मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि पर्यूषण महापर्व का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि
और क्षमा की भावना को प्रबल करना है। आत्मा के अंदर छिपे हुए दोषों की पहचान करते हैं
और उन्हें सुधारने की कोशिश करते हैं। पर्यूषण महापर्व के दौरान आत्ममूल्यांकन, आत्मशुद्धि,
और क्षमा की महत्वता को प्रबलता देता है।
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज सेक्टर 15 स्थित जैन
स्थानक में रविवार काे उपस्थित भक्त जनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा पर्यूषण के दौरान
विशेष प्रार्थनाएं और भजन से आत्मा की शुद्धि और क्षमा की भावना को जागरूक करते हैं।
धार्मिक कथा सुनना और ध्यान करना है। यह क्षमा प्रक्रिया व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों
स्तर पर होती है। क्षमा इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। जैन धर्म में क्षमा केवल
दूसरों को माफ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा के दोषों को पहचानकर उन्हें सुधारने
का भी एक प्रयास है। क्षमा का अर्थ है अन्य लोगों की गलतियों को माफ करना और खुद के
गलत कार्यों को सुधारना। आत्मा के शुद्धि और शांति के लिए आवश्यक है। पर्यूषण महापर्व
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक दृष्टिकोण
से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने दोषों की पहचान होती है और उन्हें
सुधारने का प्रयास करते हैं। धार्मिक आस्थाओं को बल प्रदान करता है, बल्कि समाज में
शांति और सौहार्द्र की भावना को भी बढ़ावा देता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना