पलवल: 3 दिसम्बर से शुरू होगी यमुना बचाओ पदयात्रा: डा. शिव सिंह रावत
पलवल, 2 दिसंबर (हि.स.)। यमुना नदी में ओखला बैराज से आ रहे सीवेज के पानी से छुटकारे के लिए लोगों का सहयोग लेने के लिए सिंचाई विभाग के सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता डॉ. शिव सिंह रावत ने शनिवार को यमुना बचाओ पद यात्रा की घोषणा की।
लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि यमुना नदी में आ रहे पानी में एक बूंद भी यमुना का पानी नहीं है सारा का सारा पानी दिल्ली के औद्योगिक संस्थानों का कचरा या फिर दिल्ली का सीवेज का पानी है जिसे उसे इस्तेमाल करके फरीदाबाद-पलवल और मेवात के लोग नित नई बीमारियों से ग्रसित होकर अपनी आने काली पीढ़ियों को नष्ट करने को मजबूर हो रही हैं। केबीसी वेलफेयर सोसाइटी ने एक बार फिर जनहित का मुद्दा उठाया है । इस बार यमुना की स्वच्छता को लेकर के पदयात्रा करने का ऐलान किया है। सोसायटी द्वारा 3 दिसम्बर से 23 दिसंबर तक गांव गांव जाकर लोगों को यमुना नदी और गुरुग्राम कैनाल के पानी को लेकर जागरूक किया जाएगा।
यमुना नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है। इसका धार्मिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व है। भारतीय संस्कृति में, नदियों को केवल भौगोलिक इकाई या जल निकायों के रूप में ही नहीं देखा जाता है, बल्कि जीवनदायिनी देवी के रूप में भी पूजा जाता है। यमुना नदी राधा और कृष्ण के निश्छल प्रेम का प्रतीक है। यह अत्यधिक उपजाऊ मैदान का निर्माण करती है। यमुना के स्वच्छ और सुरक्षित (निर्मल) जल; और निर्बाध प्रवाह (अविरल) जल का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों- पीने, घरेलू, औद्योगिक और सिंचाई के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता रहा है। यमुना 3,66, 223 वर्ग किलोमीटर बेसिन को सिंचित करती है और 128 मिलियन लोगों की पानी की आपूर्ति करती है।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 70 प्रतिशत से अधिक जल आपूर्ति करती है।
हिन्दुस्थान समाचार/ गुरुदत्त/संजीव